वाशिंगटन: अमेरिका की लगभग 200 कंपनियां अपना मैन्युफैक्चरिंग सेंटर 2019 लोकसभा चुनाव के बाद चीन से भारत में ट्रांसफर करना चाहती है। अमेरिका और भारत के संबंधों को सशक्त बनाने की पैरवी करने वाले स्वयंसेवी समूह यूएस-इंडिया स्ट्रेटजिक ऐंड पार्टनरशिप फोरम (USISPF) ने इस बारे में जानकारी दी है।
फोरम ने कहा है कि चीन के स्थान पर कोई अन्य विकल्प खोज रही कंपनियों के लिए भारत में बेहतरीन अवसर उपलब्ध हैं। ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अघी ने बताया है कि कई कंपनियां उनसे चर्चा कर रही हैं और पूछ रही हैं कि भारत में इन्वेस्ट कर किस तरह से चीन का विकल्प तैयार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रुप नई सरकार को सुधारों में तेजी लाने और फैसले लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का सुझाव देगा।
उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा है कि, 'मुझे लगता है कि यह बेहद संवेदनशील है। हम प्रक्रिया में ज्यादा पारदर्शिता लाने और 12 से 18 महीने में इसे ज्यादा परामर्श लायक बनाने का सुझाव देंगे। हम देख रहे हैं कि ई-कॉमर्स, डेटा का लोकल स्टोरेज जैसे निर्णयों को अमेरिकी कंपनियां स्थानीय कारक न मानकर अंतरराष्ट्रीय कारक के रूप में देख रही हैं।' यह सवाल किए जाने पर कि निवेश आकर्षित करने के लिए नई सरकार को क्या कदम उठाना चाहिए, अघी ने बताया कि नई सरकार को सुधार की गति में तेजी लानी चाहिए, फैसले लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी चाहिए और ज्यादा पक्षों के साथ परामर्श पर बल देना चाहिए।
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