जब हिटलर का नाम आता है तो हमारे सामने एक ऐसा क्रूर चेहरा आता है, जिसने लाखों यहूदियों को मार दिया और पूरी दुनिया को द्वितीय विश्वयुद्ध की त्रासदी में धकेल दिया। उसे मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी भी महिला थी जिससे खुद हिटलर और उसकी जर्मन फौज डरती थी। उस महिला का नाम था वर्जीनिया हॉल, एक ऐसी जासूस जिसने हिटलर की नाक में दम कर दिया था।
वर्जीनिया हॉल: एक पैर पर चलने वाली बहादुर जासूस
वर्जीनिया हॉल के एक पैर में चोट लगने के बाद लकड़ी का पैर लगाया गया था, जिससे वह लंगड़ाते हुए चलती थीं। इसी कारण उन्हें "लिम्पिंग लेडी" के नाम से जाना जाता था। जर्मन फौज को उनकी गतिविधियों से बहुत परेशानी होती थी, क्योंकि वह नाजी के फ्रांस में किए गए कई मिशन को असफल बना देती थीं और महत्वपूर्ण जानकारी पहले ही Allies तक पहुंचा देती थीं।
डिप्लोमैट बनने का सपना और फ्रांस से प्रेम
वर्जीनिया का सपना डिप्लोमेट बनने का था, लेकिन शारीरिक विकलांगता के कारण वह यह सपना पूरा नहीं कर सकीं। फ्रांस में पढ़ाई के दौरान उन्हें यह देश बहुत पसंद आया। इसलिए, जब द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने फ्रांस पर कब्जा कर लिया, तो वर्जीनिया ने वहां के लोगों की मदद करने के लिए एम्बुलेंस ड्राइवर का काम भी सीखा।
दो खुफिया एजेंसियों के लिए काम
वर्जीनिया ने ब्रिटेन की Special Operations Executive (SOE) और बाद में अमेरिकी Office of Strategic Services (OSS) के लिए काम किया। उनकी जासूसी इतनी खतरनाक थी कि उन्हें पकड़ने के लिए जर्मन गेस्टापो ने बहुत कोशिश की लेकिन कभी सफल नहीं हुए। जर्मनी ने फ्रांस में जगह-जगह उनके पोस्टर लगाए और उन्हें "सबसे खतरनाक जासूस" कहकर पकड़ने का आदेश दिया।
रूप बदलने में माहिर वर्जीनिया
वर्जीनिया अपनी पहचान छिपाने में माहिर थीं। वह एक ही दिन में कई बार रूप बदल लेती थीं, और हर बार एक नया कोड नाम इस्तेमाल करती थीं। उन्होंने फ्रांस के कई युवाओं को साथ लेकर नाजी सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
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