नई दिल्ली: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने की योजना 2019 में ही तैयार की गई थी, और इस काम में अमेरिका की कई एजेंसियों को लगाया गया था। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन लाने के लिए लाखों डॉलर भी खर्च किए गए थे। अमेरिका ने हसीना की सत्ता पलटने के लिए विभिन्न एजेंसियों का उपयोग किया, जिसमें प्रमुख भूमिका इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टिट्यूट (IRI) की थी, जो USAID और NED के लिए काम कर रही थी। यह तमाम खुलासे अखबार द सन्डे गार्जियन (The Sunday Guardian) को मिले अमेरिकी दस्तावेज़ों से हुआ है।
संडे गार्जियन के अनुसार, अमेरिकी दस्तावेज़ों से पता चला कि इस पूरी योजना का हिस्सा अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू भी थे, जो तख्तापलट के मामलों में माहिर माने जाते हैं। IRI ने बांग्लादेश में एक कार्यक्रम चलाया जो जनवरी 2021 तक जारी रहा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य हसीना की सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने वाले समूहों को समर्थन देना था। इसके अंतर्गत LGBT, बिहारी और अन्य समुदायों के लोगों को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की गई। IRI ने 2021 में एक और कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें NED से 9 लाख डॉलर की मदद मिली। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऐसे नेताओं को तैयार करना था जो भविष्य में प्रभावशाली हो सकें। IRI ने बांग्लादेश की कई पार्टियों को सहायता प्रदान की और कई कार्यक्रमों में अमेरिकी राजनयिकों को शामिल किया।
IRI ने तख्तापलट के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार किया, जैसे बांग्लादेश की सेना और कारोबारी वर्ग, लेकिन अधिकांश बड़े कारोबारी हसीना की आवामी लीग का समर्थन करते थे और सेना के बड़े अधिकारी भी सरकार के प्रति नाराज नहीं थे। इसलिए अमेरिका ने दूसरा रास्ता निकालने के लिए सोचा। लेकिन BNP, बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी, को भी सत्ता परिवर्तन के लिए फिट नहीं माना गया, क्योंकि इसकी छवि खराब हो गई थी और इसमें दो गुट थे - एक ढाका में और दूसरा लंदन में। फिर, अमेरिका के इशारे पर IRI ने कोविड महामारी के दौरान हसीना की सत्ता पलटने का प्रयास किया, लेकिन महामारी की स्थिति में सुधार के कारण यह मौका भी हाथ से चला गया।
अमेरिकी एजेंसी IRI को बांग्लादेश में भारतीय समर्थन से भी समस्या थी और उसने बांग्लादेश की राजनीति में भारत के प्रभाव को कम करने की जरूरत सता रही थी। इसके बाद IRI ने दोनों प्रमुख दलों, आवामी लीग और BNP में घुसपैठ की और इसका संचालन कई अमेरिकी राजनयिकों द्वारा किया गया, जिसमे डोनाल्ड लू भी शामिल था। खुद शेख हसीना ने अप्रैल 2023 में बांग्लादेश की संसद में चेतावनी भी दी थी कि अमेरिका किसी भी देश की सरकार को पलट सकता है। जिसके बाद अमेरिका ने हसीना सरकार के अधिकारियों पर प्रतिबंध भी लगाए थे।
आखिरकार तमाम साजिशों और कट्टर इस्लामी संगठनों की मदद के बाद 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना की सत्ता समाप्त हो गई और उन्हें भारत आना पड़ा। सत्ता परिवर्तन में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन और कट्टरपंथी संगठनों की भागीदारी शामिल थी।
रूस ने 8 महीने पहले बांग्लादेश में तख्तापलट की भविष्यवाणी की थी..
— Bhaskar Mishra (@Bhaskar_m11) August 10, 2024
उन्होंने भारत को भी चेतावनी दी थी कि अमेरिका आम चुनावों में हस्तक्षेप कर रहा है और मोदी को सत्ता से हटाना चाहता है।
अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता और यहां तक कि कांवर यात्रा पर भी मुद्दे उठाना और टिप्पणी करना… pic.twitter.com/eHtQWzowVe
अब सवाल उठता है कि क्या अमेरिका भारत में भी ऐसा ही तख्तापलट करने की योजना बना रहा है? हाल ही में राहुल गांधी ने अमेरिका में डोनाल्ड लू से मुलाकात की है, जो तख्तापलट मामलों में माहिर माने जाते हैं। असदुद्दीन ओवैसी और उमर अब्दुल्ला भी अमेरिका जाकर राजनयिकों से मिले हैं। हालाँकि, इन मुलाकातों में बंद कमरों में क्या बातचीत हुई, इसकी पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है, इसलिए इसे संदिग्ध माना जा रहा है।। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन भी हाल में अमेरिका गए थे, वहीं, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार भी वहीं हैं। ये तमाम लोग भारत में सत्ता परिवर्तन तो चाहते ही हैं, भले ही तरीका जो भी हो। अमेरिका भी यही चाहता है, वो भारत के बढ़ते कद से चिंतित है, आज का भारत उसके प्रतिबंधों को अनदेखा करते हुए रूस से व्यापर कर रहा है, जो उसकी आँख में जरूर चुभ रहा होगा। तो सवाल उठने लाज़मी हैं ही कि आखिर विदेशी धरती पर अमेरिका और विपक्षी नेताओं की 'गुप्त' मुलाकातें कहीं भारत के लिए कोई बड़ा ख़तरा तो नहीं पैदा कर रहीं ?
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