काबुल: आखिरकार 20 वर्षों के लंबे आरसे के बाद अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान को छोड़ दिया है। अंतिम विमान, अमेरिकी कमांडर और राजदूत को लेकर उड़ गया। वहीं एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पेंटागन ने स्वीकार किया कि वह काबुल से उतने लोगों को नहीं निकाल पाया, जितनी उम्मीद थी। अमेरिकी सेना के जाने के बाद काबुल हवाई अड्डे पर पूरी तरह से आतंकी संगठन तालिबान का कब्जा हो गया। खुशी में तालिबानियों ने हवाई फायरिंग की और जश्न मनाया।
सेना वापसी पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बयान भी दिया है। उन्होंने कहा कि अब अफगानिस्तान में हमारी 20 वर्षों की सैन्य मौजूदगी ख़त्म हो गई है। मैं अपने कमांडरों को अफगानिस्तान में खतरनाक जगहों पर अपनी सेवा के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि बीते 17 दिनों में हमारे सैनिकों ने अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़े एयरलिफ्ट को अंजाम दिया है। लगभग 120,000 से ज्यादा अमेरिकी नागरिकों, हमारे सहयोगियों और संयुक्त राज्य अमेरिका के अफगान सहयोगियों को निकाला है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की मीटिंग में अफगानिस्तान को लेकर प्रस्ताव पर अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रस्ताव एक स्पष्ट संदेश भेजता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, तालिबान से आगे बढ़ने पर क्या उम्मीद करता है, विशेष रूप से यात्रा की आज़ादी। US जनरल केनेथ एफ मैकेंजी ने कहा कि मैं अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी के पूरा होने और अमेरिकी नागरिकों और अफगानों को निकालने के लिए सैन्य मिशन की समाप्ति का ऐलान करता हूं।
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