चीन से अमेरिकी कंपनियों का मोहभंग, भारत में लगाएंगी 12 लाख करोड़, जमकर बढ़ेगा रोज़गार

चीन से अमेरिकी कंपनियों का मोहभंग, भारत में लगाएंगी 12 लाख करोड़, जमकर बढ़ेगा रोज़गार
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है, और इसका असर वैश्विक स्तर पर देखा जा रहा है। जबकि चीन इस वक़्त आबादी और अर्थव्यवस्था के संकट से जूझ रहा है, भारत दुनिया भर में निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी इस समय अमेरिका की यात्रा पर हैं, और इसी बीच अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में काम कर रही अमेरिकी कंपनियों का चीन से मोहभंग हो रहा है।

चीन की खराब होती अर्थव्यवस्था और वहां की नीतियों के कारण अमेरिकी कंपनियां नए विकल्पों की तलाश में हैं, और उन्हें भारत एक बेहतर विकल्प के रूप में दिखाई दे रहा है। मोदी सरकार द्वारा लागू की गई "ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस" नीतियों ने भारत में निवेश का माहौल तैयार किया है, जिससे कई अमेरिकी कंपनियां चीन से अपना कारोबार समेटकर भारत में निवेश करने की योजना बना रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 50 अमेरिकी कंपनियों ने चीन से बाहर निकलने का मन बना लिया है, जिनमें से 15 कंपनियां भारत में निवेश करना चाहती हैं। इन कंपनियों का कुल निवेश करीब 12 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है, जो भारत के लिए आर्थिक रूप से बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।

भारत अब निवेशकों की पसंदीदा जगहों में से एक बनता जा रहा है। अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने निवेश के मामले में अमेरिका, यूरोप और मेक्सिको को पीछे छोड़ दिया है। पिछले साल भारत को 5वां स्थान मिला था, जबकि इस साल वह दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। दक्षिण पूर्व एशिया अभी भी निवेशकों की शीर्ष पसंद बना हुआ है, लेकिन भारत तेजी से इस दौड़ में आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन से बाहर निकलने वाली कंपनियों में से कई मैनेजमेंट कंसल्टिंग, गारमेंट और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से हैं, और उन्होंने भारत में निवेश करने की इच्छा जताई है। भारत का बड़ा और उभरता बाजार भी इन कंपनियों को आकर्षित कर रहा है, जिससे देश में विदेशी निवेश के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

मोदी सरकार की नीतियों के चलते अमेरिका और भारत के कारोबारी रिश्ते भी लगातार मजबूत हो रहे हैं। चीन में आर्थिक सुस्ती और वहां के बदलते व्यापारिक माहौल के कारण अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत एक प्रमुख विकल्प बनता जा रहा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।

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