वाशिंगटन: अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने चांद की सतह पर पानी की खोज कर ली है. चंद्रमा की सतह पर यह पानी उस स्थान पर खोजा गया है, जहां सूरज की सीधी रोशनी आती है. सोमवार को प्रकाशित दो स्टडी के अनुसार, माना जा रहा है कि पहले के अनुमान से कहीं ज्यादा पानी चंद्रमा पर मौजूद हो सकता है. इस खोज से भविष्य में स्पेस मिशन को काफी ताकत मिलेगी. यही नहीं इसका इस्तेमाल ईंधन उत्पादन में भी किया जा सकेगा.
नेचर एस्ट्रोनॉमी में सोमवार को छपी दो नए अध्ययनों में सुझाया गया कि हमारे पुराने अनुमान से कहीं अधिक पानी चंद्रमा पर हो सकता है. इसमें ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थायी रूप से मौजूद बर्फ भी शामिल है. पिछले शोध में सतह को स्कैन करने पर पानी के संकेत तो मिले हैं, किन्तु ये शोध पानी (H2O) और हाइड्रॉक्सिल के बीच अंतर करने में विफल रहा था. बता दें कि हाइड्रॉक्सिल, हाइड्रोजन के एक और ऑक्सीजन के एक परमाणु से मिलकर बना एक अणु है. हालांकि, एक नए अध्ययन से इस बात के रासायनिक सबूत मिले हैं कि चंद्रमा की सतह पर आणविक जल मौजूद है यहां तक कि उन क्षेत्रों में भी जहां सूरज की रोशनी सीधी आती है.
स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) के आंकड़ों का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने चंद्रमा की सतह को पहले की तुलना में ज्यादा सटीक तरंग दैर्ध्य पर स्कैन किया. हवाई इंस्टीट्यूट जियोफिजिक्स एंड प्लेनेटोलॉजी के को-ऑर्थर केसी हनीबैल ने जानकारी देते हुए बताया है कि रिसर्चर्स का मानना है कि पानी कांच के छोटे-छोटे मोतियों या फिर किसी और पदार्थ के अंदर हो सकता है, जो इसे बाहर के विपरीत पर्यावरण से बचाता है.
???? ICYMI... using our @SOFIATelescope, we found water on the Moon's sunlit surface for the first time. Scientists think the water could be stored inside glass beadlike structures within the soil that can be smaller than the tip of a pencil. A recap: https://t.co/lCDDp7pbcl pic.twitter.com/d3CRe96LDm
— NASA (@NASA) October 26, 2020
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