नई दिल्ली: यदि आपको भी चांद का दीदार करना पसंद है, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। दरअसल, आज शाम आपको एक बार फिर 'ब्लू मून' के दिदार होने वाले हैं। 'ब्लू मून' की खगोलीय घटना बेहद दुर्लभ होती है। किन्तु क्या आपको पता है की ऐसा क्यों होता है? इस माह में यह दूसरी दफा होगा जब यह दुर्लभ पूर्ण चंद्र आपको देखने को मिलेगा। अमूमन हर महीने में एक बार पूर्णिमा और एक बार अमावस्या आती है। पूर्णिमा पर पूरा चांद नज़र आता है, वहीं अमावस पर चांद दिखता ही नहीं।
किन्तु कभी-कभी ऐसा भी समय आता है, जब एक ही माह में दो बार पूर्णिमा होती है, यानी की पूरा चांद नजर आता है। ऐसे में दूसरे पूर्ण चंद्र को 'ब्लू मून' कहते हैं। नासा के अनुसार, ब्लू मून की घटना बेहद दुर्लभ होती है। इस घटना को ब्लू मून नाम दिया गया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि चांद दुनिया में हर जगह नीला ही नज़र आएगा। जब वातावरण में प्राकृतिक कारणों से कणों का बिखराव हो जाता है तब कुछ स्थानों पर दुर्लभ नजारे के तौर पर चंद्रमा नीला नज़र आता है। यह घटना वातावरण में कणों पर प्रकाश पड़कर उसके बिखरने से होती है।
वैज्ञानिक बताते हैं की 'चंद्र मास की अवधि तक़रीबन 29 दिन, 12 घंटे, 44 मिनट और 38 सेकेंड की होती है, इसलिए एक ही महीने में दो बार पूर्णिमा हो जाती है। इसके लिए पहली पूर्णिमा महीने की पहली या दूसरी तारीख को होनी चाहिए।'
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