बीजिंग: दिन व दिन वैश्विक महामारी के रूप लेता जा रहा कोरोना वायरस आज पूरे मानवीय पहलू के लिए संकट बन चुका है. जंहा देखों वहां कोई न कोई इस वायरस से पीड़ित है, वहीं कोरोना वायरस यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका अभी तक कोई तोड़ नहीं मिल पाया है. वहीं इस वायरस की चपेट में आने से 3 लाख 29 हजार से अधिक मौते हो चुकी है, जबकि लाखों लोग इस वायरस से संक्रमित हुए है. ऐसे में वैज्ञानिकों के लिए यह कहना जरा मुश्किल सा है कि इस बीमारी से कब तक निजात मिल पाएगा.
चीन के साथ व्यापार समझौते को लेकर अब सोच बदल गई: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि इस साल की शुरुआत में चीन के साथ उन्होंने जिस व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे अब उसे लेकर उनके विचार बदल गए हैं. ट्रंप ने किसी समय इस समझौते को ऐतिहासिक करार दिया था. बीजिंग नेतृत्व को लेकर अपनी नाराजगी एक बार फिर जाहिर करते हुए उन्होंने चीन पर कोरोना वायरस को फैलने देने का आरोप लगाया. अमेरिका और चीन ने अपने बीच 22 महीने से जारी व्यापार युद्ध खत्म करते हुए जनवरी में एक समझौता किया था. इसके तहत बीजिंग ने 2020-2021 में अमेरिकी उत्पादों की खरीद 200 अरब डॉलर तक बढ़ाने पर सहमति जताई थी.
लॉकडाउन के दौरान दुनियाभर में कार्बन उत्सर्जन में आई 17 प्रतिशत तक की गिरावट: कोरोना वायरस वैश्विक महामारी को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के कारण पिछले महीने दुनियाभर में कार्बन डाइऑक्साइड के रोजाना होने वाले उत्सर्जन में 17 प्रतिशत तक की कमी आई. एक नए अध्ययन में यह जानकारी दी गई है. हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि जब जनजीवन सामान्य होगा तो जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में प्रदूषण में थोड़े समय के लिए आई यह कमी समुद्र में एक बूंद के समान होगी.
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