नई दिल्ली: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर लगाम कसना शुरू कर दी है। इसके तहत उन्हें न केवल कोर ग्रुप का निर्णय मान्य करना होगा वहीं अब वे महत्वपूर्ण रूप से लिये जाने वाले नीतिगत फैसले भी नहीं ले सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि भाजपा शासित राज्यों में मुख्यमंत्रियों को अभी तक नीतिगत फैसले लेने का अधिकार था, लेकिन अब वे ऐसा नहीं कर सकोगे। बताया गया है कि बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा अभी तक कई ऐसे फैसले ले लिये थे, जिनसे न तो बीजेपी अध्यक्ष ही सहमत रहे है और न ही इस मामले में पीएम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ही विश्वास में लिया गया। इसके चलते अब अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी के कोर ग्रुप को संस्थागत रूप देते हुये ताकतवर बना दिया है।
कोर ग्रुप को इतने अधिकार दे दिये गये है कि वह मुख्यमंत्रियों को अपने ईशारे पर नचा भी सकते है। पार्टी सूत्रों के अनुसार कोर ग्रुप की बगैर अनुमति या विश्वास में लिये बगैर मुख्यमंत्री कोई भी नीतिगत फैसला नहीं ले सकेंगे। हालांकि यह बात अलग है कि बीजेपी के संविधान में कोर गु्रप जैसे गठन के लिये किसी तरह का नियम नहीं है, बावजूद इसके अमित शाह ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुये कोर ग्रुप का गठन किया और उन्हें अधिकार संपन्न बना दिया है।
कोर ग्रुप में मुख्यमंत्री के अलावा प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी, संगठन मंत्री एवं कुछ वरिष्ठ नेता शामिल रहते है। बताया गया है कि कोर ग्रुप को अधिकार संपन्न बनाने का कुछ मुख्यमंत्रियों ने दबे स्वर से विरोध किया है। उनका तर्क है कि कोर ग्रुप के कारण उनके अधिकार तो कम होंगे ही, दबदबा भी कम हो जायेगा।