देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने बीते गुरुवार को कहा था कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं के नहीं, बल्कि अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। जी दरअसल जहां पर अमित शाह ने संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा था कि, 'पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने फैसला किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और यह निश्चित तौर पर हिंदी के महत्व को बढ़ाएगा।' वहीं अब पश्चिम बंगाल (West Bengal) कांग्रेस प्रमुख और सांसद अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने बीते शनिवार को कहा कि, 'इसे 'सांस्कृतिक आतंकवाद' के रूप में और इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया।'
जी हाँ और इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि देश में बहुत कम लोग हिंदी बोलते हैं और आरोप लगाया कि बीजेपी अपने 'हिंदी, हिंदू और हिंदुत्व' के एजेंडे का प्रचार कर रही है। जी दरअसल, अमित शाह ने बीते गुरुवार को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में हिंदी को स्वीकार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं इस दौरान उन्होंने स्थानीय भाषाओं के लिए नहीं दिया है। आपको बता दें कि गृह मंत्री का यह बयान तब आया जब वह यहां संसद परिसर में संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस दौरान अमित शाह ने कहा, 'हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए न कि स्थानीय भाषाओं के लिए। जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं के शब्दों को स्वीकार करके हिंदी को लचीला नहीं बनाते, तब तक इसका प्रचार नहीं किया जाएगा। अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का अहम हिस्सा बनाया जाए।'
केवल यही नहीं बल्कि अमित शाह ने यह भी कहा कि, 'जब राज्यों के नागरिक एक-दूसरे से संवाद करते हैं, तो यह एक भारतीय भाषा होनी चाहिए, चाहे वह क्षेत्रीय हो या राज्य-विशिष्ट।' जी हाँ और अब इसे लेकर कुछ राजनीति दलों की मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है, कांग्रेस ने बीजेपी पर सास्कृतिक आतंकवाद का आरोप लगाया है। दूसरी तरफ टीएमसी ने आलोचना करते हुए कहा है कि, 'हम हिंदी का सम्मान करते हैं लेकिन हम हिंदी थोपने का विरोध करते हैं।'
वहीं इस बात को लेकर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को कहा कि, 'हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा नहीं है। उन्होंने सत्तारूढ़ बीजेपी पर गैर-हिंदी भाषी राज्यों के खिलाफ 'सांस्कृतिक आतंकवाद' के अपने एजेंडे को शुरू करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।' इसी के साथ राजभाषा के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए, 'कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता ने उन पर अपने राजनीतिक एजेंडे के वास्ते अपने गृह राज्य गुजरात और मातृभाषा गुजराती से हिंदी के लिए विश्वासघात करने का आरोप लगाया।'
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