मुंबईः बॉलीवुड में जब कभी किसी खलनायक का जिक्र होता है, तो जहन में सबसे पहले जिनका चेहरा आने लग जाता है, वह है दिवंगत अभिनेता अमरीश पुरी (Amrish Puri) का. अमरीश पुरी ने सालों बड़े पर्दे पर विलेन (Amrish Puri Death) बनकर राज करते हुए दिखाई दिए है. जब कभी भी अमरीश पुरी बड़े पर्दे पर विलेन बनकर आते थे, लोगों को डरा कर ही जाते थे. तभी तो आज भी उनकी गिनती इंडस्ट्री के सबसे बड़े विलेन्स में की जाने लगी है. लेकिन, क्या आप जानते हैं अमरीश पुरी इंडस्ट्री में विलेन नहीं बल्कि हीरो बनने का सपना लेकर आए हुए थे. हालांकि, उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. तो कैसे अमरीश पुरी हीरो से विलेन बनने के सफर पर चल दिए.
वैसे तो अमरीश पुरी बॉलीवुड हीरो बनने का सपना लेकर मुंबई पहुंचे, मदन पुरी के भाई हैं. उन्होंने 430 मूवीज में काम किया. लेकिन, जब अमरीश पुरी ने अपने भाई से काम मांगा तो मदन पुरी ने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया और कहा कि तुम्हारा चेहरा हीरो के लिए नहीं है. जिसके उपरांत अमरीश पुरी ने थियेटर का रुख भी कर लिया. काम करते-करते उन्हें पहली मूवी शंततु मिली, जो एक मराठी मूवी मिली. इसमें वह एक अंधे व्यक्ति के किरदार में दिखाई दिए.
अमरीश पुरी की पहली बॉलीवुड फिल्म: खबरों का कहना है कि अमरीश पुरी ने ‘रेशमा और शेरा’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया. वह अपने कई किरदारों के लिए फेमस हैं, लेकिन जिनमे ‘मिस्टर इंडिया’ का ‘मोगैम्बो’ सबसे अधिक फेमस हुआ. आज भी अक्सर लोगों को उनका ‘मोगैम्बो खुश हुआ’ वाला डायलॉग बोलते सुना जा सकता है. मोगैम्बो का उनका डायलॉग अमर हो गया.
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