अमृतसर: अमृतसर में हुए ट्रेन हादसे ने पुरे देश को हिला का रख दिया है, जहां एक और पूरा देश दशहरे की खुशियां मना रहा था, वहीं अमृतसर में हुए इस हादसे के बाद मातम पसर गया. दशहरा समारोह देखने के लिए रेलवे ट्रैक के पास इकट्ठी हुई भीड़ के ट्रेन की चपेट में आने से 60 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए. इस हादसे के बाद सबसे बड़ा सवाल ये उठा है कि ट्रेन ने भीड़ को देखकर इमरजेंसी ब्रेक क्यों नहीं लगाए ? इस सवाल पर अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं.
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रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि डीजल मल्टीपल यूनिट (डीएमयू) जालंधर-अमृतसर पैसेंजर ट्रेन के लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक नहीं लगाए, जबकि ट्रेन के ड्राइवर का बयान इससे उल्टा है. ड्राइवर का कहना है कि उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाए थे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. ड्राइवर ने कहा कि ट्रेन 90 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही थी, घुमावदार ट्रैक होने के कारण उन्हें दूर से भीड़ नहीं दिखी, लेकिन जब उन्हें भीड़ दिखी और उन्होंने इमरजेंसी ब्रेक लगाए तब तक काफी देर हो चुकी थी और लोग ट्रेन के चपेट में आ चुके थे.
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डीआरएम विवेक कुमार ने कहा है कि ड्राइवर ने हादसा टालने की पूरी कोशिश की थी, उसने इमरजेंसी ब्रेक भी लगाए थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने ट्रेन पर हमला करना शुरू कर दिया, इसलिए ड्राइवर ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए ट्रेन को अमृतसर की ओर बढ़ा दी. वहीं हादसे के बाद कड़ी कार्यवाही की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने जालंधर-अमृतसर हाईवे को ठप्प कर दिया है, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पिछले 20 वर्षों से रेलवे ट्रैक से 50 मीटर दूर इस मैदान पर दशहरे का आयोजन होता आया है, तो आज ही ऐसा हादसा क्यों हुआ ?
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