नई दिल्ली: अमेरिकन एनिमल राइट्स ऑर्गनाइजेशन द पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) ने मार्केट में हो रहे बदलावों के जवाब में अमूल इंडिया से डेयरी दूध की जगह शाकाहारी दूध का प्रोडक्शन करने का अनुरोध किया है। PETA ने अमूल के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी को एक पत्र लिखकर अमूल से "बढ़ते शाकाहारी भोजन और दूध बाजार से लाभ उठाने" का अनुरोध किया, जिसके बाद से ट्विटर पर इसे लेकर एक बहस शुरू हो गई है।
PETA के सुझाव पर अमूल के प्रबंध निदेशक RS सोढ़ी ने ट्विटर पर PETA से पूछा कि क्या शाकाहारी दूध पर स्विच करने से 100 मिलियन डेयरी किसान, जिनमें से 70 फीसद भूमिहीन हैं, उनकी आजीविका चल जाएगी और वे अपने बच्चों की स्कूल फीस भर पाएंगे और भारत में कितने लोग वास्तव में प्रयोगशाला में बना दूध खरीद सकते हैं? सोढ़ी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, "क्या वे 10 करोड़ डेयरी किसानों (70% भूमिहीन) को आजीविका देंगे? उनके बच्चों की स्कूल फीस कौन भरेगा? कितने लोग रसायन और सिंथेटिक विटामिन से बने महंगे लैब में बनी खाने-पीने की चीजों का खर्च उठा सकते हैं?"
Peta wants Amul to snatch livelihood of 100 mill poor farmers and handover it's all resources built in 75 years with farmers money to market genetically modified Soya of rich MNC at exhorbitant prices ,which average lower middle class can't afford https://t.co/FaJmnCAxdO
— R S Sodhi (@Rssamul) May 28, 2021
अमूल एक सहकारी संस्था होने की वजह से सीधे डेयरी किसानों से दूध खरीदती है। सोढ़ी ने पशु अधिकार समूह पर हमला बोलते हुए दावा किया कि शाकाहारी दूध पर स्विच करने का मतलब होगा किसानों के पैसे का उपयोग करके बनाए गए संसाधनों को बाजारों को सौंपना। सोढ़ी ने यह भी कहा कि शाकाहारी दूध पर स्विच करने से मध्यम वर्ग के लिए एक आवश्यक वस्तु, जो आसानी से उपलब्ध है, वो मिलना कठिन हो जाएगा, क्योंकि कई लोग शाकाहारी दूध का खर्च नहीं उठा पाएंगे। उन्होंने कहा कि, "PETA चाहता है कि अमूल 10 करोड़ गरीब किसानों की आजीविका छीन ले और 75 वर्षों में किसानों के पैसे से बनाए गए अपने तमाम भीसंसाधनों को अधिक दाम पर समृद्ध बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNC) को सौंप दे, जिसे औसत निम्न मध्यम वर्ग वहन ही नहीं कर सकता।"
PETA ने सोढ़ी को लिखे गए अपने पत्र में अंतर्राष्ट्रीय खाद्य निगम कारगिल की 2018 की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया है कि विश्वभर में डेयरी उत्पादों की डिमांड घट रही है, क्योंकि डेयरी को अब आहार का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं माना जाता है। PETA ने दावा किया कि नेस्ले और डैनोन जैसी अंतर्राष्ट्रीय डेयरी कंपनियां गैर-डेयरी दूध निर्माण में हिस्सेदारी हासिल कर रही हैं, इसलिए अमूल को शाकाहारी उत्पादों में भी कदम रखने के संबंध में सोचना चाहिए। PETA का दावा है कि चल रही कोरोना वायरस महामारी ने लोगों को बीमारियों और जूनोटिक वायरस के बीच की कड़ी के संबंध में जागरूक किया है। उसने सुझाव दिया कि अमूल को देश में उपलब्ध 45,000 अलग-अलग पौधों की प्रजातियों का उपयोग करना चाहिए और शाकाहारी वस्तुओं के लिए उभरते बाजार का फायदा उठाना चाहिए।
Will they give livelihood to 100 million dairy farmers (70% landless) , who will pay for children school fee .. how many can afford expensive lab manufactured factory food made out of chemicals ... And synthetic vitamins .. https://t.co/FaJmnCAxdO
— R S Sodhi (@Rssamul) May 28, 2021
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