एच.डी. देवेगौड़ा का जन्म 18 मई 1933 को कर्नाटक के हासन जिले के होलेनारासिपुरा तालुक के हरदनहल्ली गांव में हुआ था, वे सामाजिक-आर्थिक विकास और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रतिज्ञाबद्ध थे. 20 साल की उम्र में अपनी पढाई पूरी करने के बाद देवेगौड़ा ने राजनीति की तरफ रुख किया. 953 में वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और 1962 तक इसके सदस्य बने रहे. लोकतांत्रिक व्यवस्था के निचले तबके से संबंध रखने वाले श्री देवेगौड़ा ने धीरे – धीरे राजनीतिक उंचाइयां हासिल की.
होलेनारसिपुर निर्वाचन क्षेत्र से वे लगातार 6 बार विधान सभा सदस्य बने, लेकिन उन्होंने 22 नवंबर 1982 को छठी विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी, सातवीं और आठवीं विधानसभा के सदस्य रहने के दौरान उन्होंने लोक निर्माण और सिंचाई मंत्री के रूप में कार्य किया, लेकिन 1987 में उन्होंने सिंचाई के लिए अपर्याप्त धन आवंटन का विरोध करते हुए मंत्रिमंडल से भी इस्तीफा दे दिया. स्वतंत्रता और समानता के समर्थक देवेगौड़ा को केंद्र की नाराज़गी के चलते 1975-76 में आपातकाल के दौरान जेल भी जाना पड़ा. जेल में रहकर उन्होंने सामाजिक उत्थान के उद्देश्य से ज्ञान प्राप्त करने के लिए अध्ययन शुरू किया. जेल से बाहर आने के बाद वे परिपक्व और दृढ संकल्प वाले व्यक्ति के रूप में सामने आए.
इस दौरान 1994 में वे दो बार जनता पार्टी के अध्यक्ष भी बने और इसी साल 11 दिसम्बर को वे कर्नाटक के 14वें मुख्यमंत्री बने. 1989 में कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में जनता दल को 222 में से केवल 2 सीटें मिलीं जो पार्टी के लिए एक करारी हार थी, देवेगौड़ा के लिए भी यह उनके करियर की पहली असफलता थी जहाँ उन्हें दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बाद उनके पास तीसरे मोर्चे (क्षेत्रीय दलों और गैर-कांग्रेस और गैर-भाजपा समूह का गठबंधन) के नेतृत्व का अवसर अचानक ही आया जो उन्हें प्रधानमंत्री के पद तक ले गया, 30 मई 1996 को देव गौड़ा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर भारत के 11वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, अतः यह कहा जा सकता है कि वे राजनीतिक क्षेत्र की अस्थिरता से अनजान नहीं हैं.
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