पूरे विश्व के लोगो को तम्बाकू के खतरों से बचाने के लिए और सभी लोग तम्बाकू के खतरों के प्रति सचेत रहे इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए विश्व स्वास्थ्य संघटन (WHO) के स्थापना दिवस पर पहली बार विश्व स्वास्थ्य संघटन के कुछ सदस्यों द्वारा विश्व तम्बाकू निषेध दिवस का शुभारम्भ किया गया फिर आगे चलकर 31 मई 1987 को पहली बार पूरे विश्व में का आयोजन हुआ जिसके बाद हर साल पूरे विश्व के अलग अलग देशो में मनाया जाने लगा.
एक बात सोचने वाली है की दुनिया के सभी लोग जानते है की तम्बाकू खाने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है लेकिन एक तरफ इन्सान खुद को इतना दिमाग वाला और हर प्राणियों में खुद को श्रेष्ठ समझता है दुनिया में विकास के ऐसे नये नये आयाम स्थापित किये है जिसकी कल्पना भी सम्भव नही थी लेकिन एक तरफ इन्सान खुद को सबसे पढ़ा लिखा दिमागदार व्यक्ति समझता है लेकिन तम्बाकू के सेवन के मामले में खुद को इतना नीचे गिरा दिया है कि इसके नुकसान जानते हुए भी वह इसपर नियंत्रण नहीं कर पाता.
तम्बाकू सेवन के मामले में इन्सान का कुछ ऐसा ही हाल है यदि इन्सान को सीधे तौर से जानवर कह दिया जाय तो बुरा मान लेता है लेकिन यदि उसे जानवरों के राजा यानि शेर कहा जाय तो खुद पर गर्व महसूस करने लगता है ठीक उसी तरह यदि कोई व्यक्ति नशा का आदी है तो वह लोकलाज के डर से कही भी मौका मिलने पर चोरी छिपे नशा जरुर करता है लेकिन जब किसी पार्टी, बड़े जगहों पर लोग खुलकर धुम्रपान, नशा करते है तो वही व्यक्ति नशा करने में अपने आप पर फक्र महसूस करता है यानी नशा करने में व्यक्ति कही न कही झूटे मुठे दिखावापन के कारण भी खुद को नशा करने की तरफ ले जाता है. इसी जागरूकता को फ़ैलाने के लिए हर साल WHO की देखरेख में सार्वजनिक जगहों पर मार्च, प्रदर्शनी, झंडे बैनर द्वारा लोगो को जागरूक किया जाता है कुछ देश की सरकारे भी इस कार्यक्रम में बढ़कर चढ़कर हिस्सा लेती है.
विश्व पर्यावरण दिवस : पर्यावरण को बचाने के लिए इतना तो हम कर ही सकते है