महाराष्ट्र किसान आंदोलन में अन्नदाता सड़कों पर, नेता राजनीति में व्यस्त

महाराष्ट्र किसान आंदोलन में अन्नदाता सड़कों पर, नेता राजनीति में व्यस्त
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मुंबई : देश का अन्नदाता आज एक बार फिर सड़कों पर है. इस बार राज्य महाराष्ट्र, जगह मुंबई. कुल किसानों की संख्या 40 हजार से ज्यादा. इसके बाद की कहानी वही जो देश के हर किसान की है. प्रदेश के 40 हजार से ज्यादा किसान मुंबई पहुंचे हैं. नासिक से लेकर मुंबई के सफर में 180 किलोमीटर पैदल चलने वाले किसान 10 -20 से लेकर अब  40 हजार की तादाद में अपने हक़ के लिए मांग कर रहे है. किसानों का यह आंदोलन अचानक नहीं है. महाराष्ट्र के 2017-18 के आर्थिक सर्वे में भी कृषि क्षेत्र के विकास में कमी का उल्लेख है, देवेंद्र फडणवीस सरकार ने इस पर वादे किये और भूल गई. किसानो के साथ राजनीती भी जुडी है, जिनमे शिवसेना, महाराष्ट्र नव निर्माण सेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) समेत अन्य कई दल शामिल है जिनका अपना स्वार्थ है.

किसानो की मांगों की बात की जाये तो - बिना किसी शर्त के सभी किसानों का कर्ज माफ किया जाए, सरकार कृषि उत्पाद को डेढ़ गुना दाम देने का वादा करे, स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशों व वनाधिकार कानून पर अमल किया जाए, महाराष्ट्र के किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराए, ओलावृष्टि प्रभावित किसानों को प्रति एकड़ 40 हजार रु. का मुआवजा दिया जाए, किसानों का बिजली बिल माफ किया जाए आदि शामिल है. फ़िलहाल देवेंद्र फडणवीस सरकार और उनके छह प्रमुख मंत्री मामले पर बैठक कर रहे है और सुलह का रास्ता तलाश रहे है. वही राहुल गाँधी ने इसे केवल महाराष्ट्र के किसानों की नहीं समूचे देश के किसानों से जोड़ते हुए सरकार पर कटाक्ष किया है. दूसरी ओर इन सब बातों से बेखबर किसानों के हित की बात करने वाली केंद्र सरकार वाराणसी में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को नौकाविहार करवाने में व्यस्त है. 

दशकों से अपने हक़ के लिए लड़ता किसान अब बेबसी और आत्महत्या के रास्ते को छोड़ कर आंदोलन की रह पर चल पड़ा है. ये देश का वही किसान है, जिसने दशकों तक अंग्रेजो के जुल्म सहे और अब अपनों के हाथों सताया जा रहा है. किसान की मांग को यदि एक शब्द में समेट दिया जाये तो वो बस इतनी सी है कि उन्हें उनकी मेहनत का मोल दे दिया जाये. बढ़ती और बदलती दुनिया की रफ़्तार के साथ किसान को भी चलने का अधिकार है. उसे भी परिवार के लिए खुशहाली और बच्चो के लिए वो सब सुविधाएं चाहिए जो उनका मौलिक हक़ है. आज किसान को अपने हक़ के लिए बार बार आंदोलन की राह अपनाना पड़ रही है, जो सभी सरकारी दावों की जिनमे कहा जा रहा है कि सरकार किसान के लिए काम कर रही है कि पोल खोल रही है. 

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