ओल्ड पेंशन स्कीम पर जगन रेड्डी सरकार ने लिया बड़ा फैसला

ओल्ड पेंशन स्कीम पर जगन रेड्डी सरकार ने लिया बड़ा फैसला
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विशाखापत्तनम: YSR कांग्रेस के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने भले ही कांग्रेस से दूरी बना रखी हो, मगर वह कांग्रेस के चुनावी पैटर्न और गवर्नेंस मॉडल पर चलते नज़र आ रहे हैं। उनके नेतृत्व में आंध्र प्रदेश कैबिनेट ने बुधवार को गारंटी पेंशन योजना (GPS) के तहत सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50 फीसद सुनिश्चित पेंशन देने का निर्णय लिया है। एक आधिकारिक बयान में इस बारे में जानकारी दी गई है।

बता दें कि, गारंटी पेंशन योजना, कांग्रेस द्वारा प्रचारित और कुछ प्रदेशों में लागू की जा रही पुरानी पेंशन योजना (OPS) की तरह ही है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकारों ने OPS बहाल कर दी है। इसमें भी सरकारी कर्मचारियों को अंतिम वेतन निकासी की 50 फीसदी राशि पेंशन के रूप में दी जानी है। नया GPS अंशदायी पेंशन योजना (CPS) की जगह लेगा, जिसका प्रदेश सरकार के कर्मचारी काफी समय से विरोध कर रहे थे। कर्मचारी CPS के स्थान पर GPS की मांग कर रहे थे, क्योंकि CPS न्यूनतम पेंशन का आश्वासन नहीं देता। सीएम जगन मोहन रेड्डी ने 2019 के राज्य विधानसभा चुनाव से पहले CPS को GPS से बदलने का वादा किया था।

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि GPS योजना के तहत पात्र कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन की 50 फीसदी राशि पेंशन के तौर पर प्राप्त होगा। इसमें केन्द्र सरकार की तरह महंगाई भत्ता भी शामिल होगा और यह भत्ता एक वर्ष में दो दफा मिलेगा। सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, 'प्रदेश के भविष्य और कर्मचारियों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए GPS में बदलाव किया गया है।'

सीएम जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में हुई आंध्र प्रदेश कैबिनेट की मीटिंग में बुधवार को कर्मचारियों के लिए 'गारंटी वाली पेंशन योजना' (GPS), 6,840 नयी सरकारी नौकरियों और लगभग 10,000 संविदा कर्मियों को नियमित करने जैसे अहम फैसले लिए गए। राज्य सरकार ने वैसे संविदा कर्मियों को भी नियमित करने का निर्णय लिया है, जिन्होंने 2 जून, 2014 को आंध्र प्रदेश के विभाजन की तारीख से पहले पांच वर्ष की सेवा पूरी कर ली है। 

OPS पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स, क्यों हुई थी बंद:-

बता दें कि, नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी भी पुरानी पेंशन योजना (OPS) को दोबारा लागू करने पर चिंता जता चुके हैं। उनका कहना है कि, 'इससे भविष्य के करदाताओं (Tax Payers) पर बोझ पड़ेगा। इस देश की राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की जरूरत है। OPS के फिर से बहाल होने को लेकर मुझे थोड़ी चिंता है। मेरे खयाल से यह चिंता का विषय है, क्योंकि इसका भार आज के करदाताओं पर नहीं, बल्कि भविष्य के करदाताओं और नागरिकों पर पड़ेगा।’ आर्थिक जानकारों का यह भी कहना है कि पहले से ही कर्ज में डूबे राज्यों के लिए यह योजना नई मुसीबत खड़ी कर सकती है। इससे आगामी सरकारों पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ेगा। बता दें कि, OPS को 1 अप्रैल 2004 को केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार ने आर्थिक सलाहकारों से चर्चा करने के बाद ही बंद किया था और उसके बदले राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension System) शुरु की थी थी। हालाँकि, अब कांग्रेस उसी OPS को मुद्दा बनाकर वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रही है, जिसे उसने ही बंद किया था। 

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