एंड्रॉयड वन को कंपनी ने बजट फोन को ध्यान में रखकर लॉन्च किया था. एड्रॉयड वन को इसलिए भी लॉन्च किया गे था ताकि बजट फोन को सीम के बिना भी अपडेट्स मिल सके. एड्रॉयड वन जब पेश किया गया था तब इससे कोई खास सफलता नहीं मिली. इसके बाद कंपनी ने एंड्रॉयड के इस वर्जन में कुछ परिवर्तन किये. कंपनी ने बाद में एंड्रॉयड वन को एंट्री लेवल के बाद दूसरे सेगमेंट के लिए भी पेश किया.
पहले एंड्रॉयड वन वर्जन कम कीमत वाले स्मार्टफोन में ही लॉन्च किया गया था जबकि अब एंड्रॉयड का ये वर्जन चालीस हजार और पचास हजार तक के स्मार्टफोन में भी आने लगा है. एंड्रॉयड वन वर्जन को अलग बनती है इसकी प्रोग्रामिंग. आप जब भी किसी थर्ड पार्टी का एंड्रॉयड फोन खरीदते हैं तो उसमे कुछ फीचर्स ऐसे भी होते हैं जो गूगल के नहीं होते. गूगल के फीचर्स नहीं होने के कारण यूजर्स को कुछ समस्या भी आ जाती है. एंड्रॉयड वन वर्जन वाले फोन में यूजर्स को वहीं एप मिलते हैं जो कंपनी प्री इस्टॉल्ड करके देती है.
एंड्रॉयड वन में प्री इंस्टॉल्ड एप के अलावा कोई और एप यूजर्स को नहीं मिलता है. इससे ये होगा की गूगल से मिलने वाले अपडेट यूजर्स को मिलती है. इसका का मतलब ये नहीं है कि आप दूसरे एप इंस्टॉल्ड नहीं कर सकते. आपको बस दूसरे एप इंस्टॉल्ड नहीं मिलते. आपको ये एप अलग से इंस्टॉल्ड करना होंगे.
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