खुद को सरकारी कर्मचारी घोषित करवाने की मांग को लेकर देश भर की लाखों आंगनबाड़ी, मिड-डे-मिल और आशा वर्कर बुधवार को हड़ताल पर थी. हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में भी हजारों कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया. जिला भर से हजारों की संख्या में आई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं, मिड-डे-मिल और आशा वर्करों ने मंडी जिला मुख्यालय पर इकट्ठा होकर सीटू के बैनर तले धरना प्रदर्शन किया. उन्होंने अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी भी की.
कार्यकर्ताओं ने कहा कि 2013 में हुए श्रम सम्मेलन में इनके हक में जिन सिफारिशों को भारत सरकार ने माना था, उन्हें लागू करवाने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों से मांग की जा रही है. आंगनबाड़ी हेल्पर्ज एंड वर्कर्ज यूनियन की जिला प्रधान सुमित्रा देवी ने कहा कि, “मौजूदा सरकार ने इस सिफारिशों में कुछ बदलाव करके इन्हें लागू करवाने की बात कही थी, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हो सका है. हमारी मांग है कि आंगनबाड़ी, मिड-डे-मिल और आशा वर्करों को वेतनभोगी बनाकर सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए.
उन्होंने कहा कि, “जब तक सरकार ऐसा नहीं करती है तब तक हरियाणा की तर्ज पर मानदेय और सुविधाएं देने की व्यवस्थाएं की जाएं.” साथ ही इन्होंने एनआरएचएम के तहत लंबित पड़ी अदायगी के जल्द भुगतान की मांग की है. इनकी मांग है कि सभी वर्करों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन और ग्रेचुटी की सुविधा दी जाए और निजीकरण की प्रथा को बंद किया जाए.
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