आप सभी को बता दें कि हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश को खुश करने के लिए विनायकी चतुर्थी का व्रत करते हैं. ऐसे में अगर विनायकी चतुर्थी का यह व्रत मंगलवार को पड़ता है, तो इसे अंगारक गणेश चतुर्थी कहते हैं. अब बात करें इस साल की तो इस साल यह व्रत 11 दिसंबर यानी मंगलवार को पड़ रहा हैं इस वजह से इस बार इसे अंगारक चतुर्थी कहा जाएगा. ऐसे में कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा विधि-विधान से करते हैं और अगर पूजा सच्चे मन से की जाए तो व्रत रखने वाले की हर मनोकामना पूरी होती हैं. ऐसे में अगर कल यानी मंगलवार को आप अंगारकी चतुर्थी का व्रत करते हैं तो इस विधि से करें तब आपको आपका मनचाहा वरदान मिल जाएगा. आइए जानते हैं विधि.
व्रत विधि - इसके लिए इस दिन आपको सुबह जल्दी उठना है और नहा लेना है. इसके बाद दोपहर के समय अपनी इच्छा के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करना है. इसके बाद संकल्प मंत्र बोलना है और उसे बोलने के बाद भगवान श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करनी है. आरती के बाद गणेश जी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाना है और गणेश मंत्र ‘ऊँ गं गणपतयै नम:’ का जाप करना है. इसके बाद 21 दूर्वा दल चढ़ाना है और फिर बूंदी के 21 लड्डुओं का उन्हें भोग लगा देना है. इसके बाद 5 लड्डू मूर्ति के पास रख देंना है और 5 ब्राह्मण को दान कर देना है. इसके बाद बचे हुये लड्डू को प्रसाद के रूप में बांट देंना है गरीबों में.
अब ध्यान रखे कि श्री गणेश की पूजा करते समय श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत इत्यादि का पाठ करें और इन सभी के अलावा ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद ही शाम को स्वयं भोजन करें. इसी के साथ यह भी ध्यान रखे कि व्रत को आस्था और श्रद्धा से करें क्योंकि ऐसा करने पर ही भगवान श्री गणेश की कृपा होगी और आपकी सभी मनोकामना पूरी होगी.
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