हर महीने में दो चतुर्थी आती हैं और दोनों ही चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती हैं। अब फाल्गुन के महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी कल यानी 2 मार्च को मनाई जाने वाली है। इस बार मंगलवार के दिन चतुर्थी पड़ने से इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जा रहा है और इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी भी कह सकते हैं।
वहीं फाल्गुन मास की इस संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी कह सकते है। वैसे इस दिन गणपति के द्विजप्रिय रूप की आराधना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि, 'विघ्नहर्ता द्विजप्रिय गणेश के चार मस्तक और चार भुजाएं हैं।' इनका पूजन किया जाए और व्रत किया जाए तो सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा अच्छी सेहत और सुख समृद्धि मिलती है।
श्री गणेश की पूजन विधि - इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहा ले और उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर ले। अब भगवान गणेश का स्मरण करें और उनके समक्ष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद आप गणेश की प्रतिमा को जल, रोली, अक्षत, दूर्वा, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें। इसके बाद केले का एक पत्ता या एक थाली ले लें। उस पर रोली से त्रिकोण बनाएं और त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें। इसके बाद बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च रखें। अब अग्ने सखस्य बोधि नः मंत्र या गणपति के किसी और मंत्र का का कम से कम 108 बार जाप करें। अंत में व्रत कथा कहें या सुनें, उसके बाद आरती करें। अब शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलें।
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