दलितों का विरोध बना फडणवीस सरकार का सिरदर्द

दलितों का विरोध बना फडणवीस सरकार का सिरदर्द
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महाराष्ट्र में हुआ जातीय संघर्ष, देवेंद्र फडणवीस सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है. सोमवार को दलितों के खिलाफ हुई हिंसा के कारण, मराठा समुदाय का विरोध झेल रही फडणवीस सरकार को दलितों के विरोध से भी जूझना पड़ सकता है.

भरीपा बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश अंबेडकर ने बुधवार को बंद का आह्वान किया, जिसमें सभीदलित संगठनों ने एकजुट होकर इस अभूतपूर्व बंद में भागीदारी की. दलित पार्टियों की यह एकजुटता फडणवीस सरकार का सिरदर्द बढ़ा सकती है. राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश जोशी का कहना है कि, “बीजेपी के वोट में बढ़ोतरी नरेंद्र मोदी के कारण हुई और जमीनी स्तर पर पार्टी अब भी कमजोर है. मराठा समुदाय का बीजेपी से पहले ही मोहभंग हो चुका है और अगर दलित भी छिटक जाते हैं, तो बीजेपी को सत्ता बनाए रखने में मुश्किल होगी.”

महाराष्ट्र के पुणे में हिंसा के बाद दलित समाज दो लोगों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार करने की मांग कर रहा है. पहले आरोपी हैं संभाजी भिडे हैं, जो इलाके में हिंदुत्व का बहुत बड़ा चेहरा है. वहीं दूसरे आरोपी मिलिंद एकबोटे हैं, जो हिंदू एकता मोर्चा नाम का संगठन चलाते हैं और गौरक्षा जैसे मुद्दों का समर्थन कर चर्चित हुए है. अब दलितों और मराठों के बीच इस जातीय संघर्ष के बीच सरकार फंस गई है. वो किसी भी ओर जाए, दूसरे समुदाय का विरोध झेलना पड़ेगा. 

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