गोवा सरकार की नीतियों से नाराज खनन उद्यमी

गोवा सरकार की नीतियों से नाराज खनन उद्यमी
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गोवा में खनन करने वाले लोगों के एक मंच ने बैंकों से एक बार निपटान (OTC) लेने के बाद राज्य सरकार की नई योजना पर असंतोष व्यक्त किया है. गोवा माइनिंग पीपुल्स फ्रंट (जीएमपीएफ), ट्रक, बैज और खनन मशीनरी के मालिकों के एक संगठन ने आज कहा कि यह योजना उधारकर्ताओं के लिए कोई उपयोग नहीं है, क्योंकि ऋण की मात्रा बहुत बड़ी है और उद्योग पर दो साल तक का प्रतिबंध आर्थिक रूप से पूरी तरह बेकार है.

उल्लेखनीय है कि अगर गोवा सरकार OTS की रकम पर 35 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करती है, तो उधारकर्ता शेष राशि को चुकाने की स्थिति में नहीं हैं. 9 सितंबर को खनन उद्योग पर प्रतिबंध लगे दो साल हो जायेगे. उधारकर्ता के पास कर्ज चुकाने के लिए पैसा कहाँ से आएगा. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जीएमपीएफ के संयोजक सुहास नाइक ने कहा- ''गोवा सरकार ने ट्रक, नाव और खनन मशीनरी मालिकों के लिए ऋण राहत योजना को सूचित किया है, जिसका उद्देश्य उनके ऋण राशि का 35 प्रतिशत सब्सिडी देना है.''

नाइक ने कहा कि राज्य को अपनी देनदारियों को पूरा करना चाहिए और आर्थिक विकास निगम जैसी सरकारी एजेंसियों के जरिये नरम ऋण उपलब्ध कराएगा. राज्य सरकार को 5000 करोड़ रुपये के खनन मुआवजे का पैकेज लेना चाहिए जो इन ऋणों को चुकाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

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