नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में RTI कानून में संशोधन वाले विधेयक को पारित करने पर प्रसिध्द समाजसेवी अन्ना हजारे ने इसे जनता के साथ सरकार का धोखा करार दिया। सोमवार को लोकसभा ने आरटीआई कानून में संशोधन किया जिसके तहत इस विधेयक में उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे।
अन्ना ने कहा, ‘‘भारत को आरटीआई कानून 2005 में मिला था लेकिन आरटीआई कानून में इस संशोधन से सरकार इस देश के लोगों के साथ धोखा कर रही है.'' 82 वर्षीय हजारे ने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है लेकिन यदि देश के लोग आरटीआई कानून की शुचिता की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरें तो वह उनका साथ देने के लिए तैयार हैं। अन्ना हजारे ने कहा, 'किसी कानून का मसौदा तैयार करते समय यह उम्मीद की जाती है कि सरकार इसमें जनता की राय लेगी।
यदि मसौदा और कानून दोनों को केवल सरकार बनाएगी तो ये लोकतंत्र नहीं बल्कि तानाशाही है।' उक्त बातें सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे अपने गांव रालेगण सिद्दी में मीडिया से बात कर रहे थे। हजारे के आंदोलन के चलते महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र सूचना का अधिकार कानून बनाया था जिसे सूचना के अधिकार कानून 2005 का आधार माना जाता है।
राहुल गाँधी के बचाव में उतरे गहलोत, कहा- वो पहले भी पार्टी के कप्तान थे और आगे भी रहेंगे
कर्नाटक के बाद अब नजरें मध्य प्रदेश पर
अब केवल पांच राज्यों तक सिमट कर रह गयी है कांग्रेस