अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में देश के लिए पदक जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है. वहीं वर्षो की मेहनत के बाद पोडियम पर खड़े होने का मौका नसीब होता है. मगर इंदौर की मूल निवासी और दिल्ली में पढ़ी एनी जैन के लिए पदक जीतना मानों बच्चों का खेल है. एनी 17 साल की हैं और नेपाल में आयोजित दक्षिण एशियाई खेलों की तैराकी स्पर्धा में भारत के लिए तीन स्वर्ण सहित कुल चार पदक जीते. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बनाया. छोटी सी उम्र में राष्ट्रीय स्पर्धाओं में दो दर्जन से ज्यादा पदक जीत चुकीं एनी जैन से कपीश दुबे ने खास बातचीत की.
-जिस उम्र में बच्चे करियर के बारे में सोचना शुरू करते हैं, आप अंतरराष्ट्रीय पदक जीत रही हैं, यह अनुभव कैसा है?
--अच्छा लगता है. मगर इसमें मेरी मेहनत के अलावा मेरी मम्मी साक्षी और पिता समीर का बहुत बड़ा समर्पण व त्याग है. उन्होंने मुझे हमेशा आगे बढ़ने और अपनी पसंद का खेल चुनने के लिए प्रेरित किया.
-तैराकी को करियर के रूप में कैसे चुना?
--मुझे शुरुआत में तैराकी से लगाव नहीं था. मैं स्केटिंग की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी थी. गर्मियों में तैराकी सीखने गई तो मन लग गया. इसके बाद तैराकी को गंभीरता से लेने लगी. मैं कुछ ही महीनों में राज्य स्पर्धाओं में और एक साल के भीतर राष्ट्रीय स्पर्धाओं में हिस्सा लेने लगी.
-अब तक कितने पदक राष्ट्रीय स्पर्धाओं में जीत चुकी हैं?
--मैं जूनियर वर्ग की खिलाड़ी हूं, लेकिन सीनियर में भी खेलती हूं. सीनियर में कुल पांच पदक, जबकि जूनियर वर्ग में 23 पदक जीते हैं. इसके अलावा स्कूल नेशनल, सीबीएसई नेशनल और आमंत्रण टूर्नामेंट में भी दर्जनों पदक जीते हैं, लेकिन संख्या याद नहीं. मैं हर साल राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीत रही हूं. मैं अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाली मध्य प्रदेश के इतिहास की पहली महिला तैराक हूं.
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