नई दिल्ली: केंद्र में भाजपा की सहयोगी रही अकाली दल की दिल्ली यूनिट ने UCC का न सिर्फ विरोध किया है, बल्कि भविष्य के किसी भी सहयोग से पहले भाजपा को UCC को आइना दिखाने की बात कही है। अकाली दल ने सिखों को जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर दिल्ली में बड़ा सम्मेलन की घोषणा की है। ये भाजपा के लिए एक झटके की भांति है।
पंजाब में भाजपा की सबसे खास सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ही रही है। केंद्र में मंत्री रहते हुए हरसिमरत कौर केंद्र से अलग होने का निर्णय लिया, इसके पीछे किसान आंदोलन था। अब जब अगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा पुराने सहयोगियों पर साधने में लगी है तो UCC का अकालियों का विरोध एक रोड़े की भांति ही है। अब UCC के सिखों पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर सिख संगठन दिल्ली की शिरोमणि अकाली दल के बैनर तले जुटे तथा UCC का विरोध करते हुए देश को बांटने का प्रयास तक बता दिया। कड़े शब्दों में खिलाफत करते हुए पहले प्रस्ताव में UCC को समाप्त करने एवं पंजाब सरकार के पंजाब विधानसभा में सिख गुरुद्वारा एक्ट में किए गए संशोधन को सिरे से रद्द करने का प्रस्ताव सभी ने पास किया।
वही इसके चलते शिरोमणि अकाली दल के दिल्ली स्टेट चीफ परमजीत सिंह सरना ने कहा कि भविष्य के किसी भी प्रकार के गठबंधन की सोच से पहले भाजपा को UCC को सिरे से खारिज करना होगा। उन्होंने इसकी निंदा करते हुए कहा कि बिना कोई मसौदा सामने रखे, लॉ कमीशन द्वारा धार्मिक संस्थाओं से समान नागरिक संहिता पर सलाह कैसे मांग सकती है? वहीं सरदार मंजीत सिंह जीके ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष के पश्चात् भी सिखों का पर्सनल लॉ नहीं है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को तत्काल सिख पर्सनल लॉ बनाने के लिए कमेटी बनानी चाहिए। तभी सिख पर्सनल लॉ को लागू करवाने का सरकार पर दबाव बनेगा। लॉ कमीशन को पत्र लिखकर UCC में सिख इन बिंदुओं पर स्पष्टीकरण की मांग की है।
सिखों में इन सवालों को लेकर संशय की स्थिति:-
-संविधान में सिखों पर कहीं कहीं हिंदू पर्सनल लॉ लागू होता है। जबकि सिखों की दियां दंपति की शादी आंनद मैरिज एक्ट में पंजीकृत होती जाती है, अलगाव हिंदू मैरिज एक्ट के तहत अंजाम दिया जाता है। सिखों के संस्कार परंपराएँ अन्य धर्मों से अलग हैं।
-कृपाण रखने को लेकर संशय।
-निहंग और हथियार के प्रदर्शन पर संशय।
-सिखों से जुड़ी संस्थाओं की अथॉरिटी पर कोई आंच ना आए।
-किसी भी तरह के फैमिली प्लैनिंग पॉलिसी को ना थोपा जाए।
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