पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर में देवी माँ की मूर्ति के सामने पायजामा उतारने और मंदिर परिसर में पेशाब करने वाले मोहम्मद मोइउद्दीन को बिहार पुलिस ने मानसिक रूप से विक्षिप्त करार दिया है। बिहार पुलिस ने ट्वीट करते हुए बताया है कि, 'मन्दिर के निकट अवांछित कृत्य करने वाले युवक के मानसिक रूप से विक्षिप्त होने की बात प्रकाश में आई है। उसके परिजनों के द्वारा चिकित्सीय प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये गए हैं।' हालाँकि, सोशल मीडिया यूज़र्स इस बात को लेकर बिहार पुलिस की आलोचना भी कर रहे हैं।
मुजफ्फरपुर नगर थानान्तर्गत मन्दिर के निकट एक युवक के अमर्यादित कृत्य के संबंध में :-
— Bihar Police (@bihar_police) April 23, 2023
◆मन्दिर के निकट अवांछित कृत्य करने वाले युवक के मानसिक रूप से विक्षिप्त होने की बात प्रकाश में आई है।,,,,उसके परिजनों के द्वारा चिकित्सीय प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये गए हैं।,,,, #BiharPolice
बहरहाल, बिहार पुलिस ने अग्रिम कार्रवाई किए जाने की बात भी कही है, हालाँकि आगे क्या कार्रवाई होगी, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है। इसके साथ ही बिहार पुलिस ने अपने ट्वीट में चेतावनी भी दी है कि 'अफवाहों पर ध्यान न दें, भ्रामक खबर न फैलाएँ। अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।'
क्या है मामला:-
बता दें कि ईद वाले दिन (22 अप्रैल) मोहमद मोइउद्दीन नामक व्यक्ति ने मंदिर में जाकर गंदी हरकतें की थी। वह मंदिर चप्पल पहने हुए घुस गया और देवी माँ की प्रतिमा के सामने पायजामा खोलकर खड़ा हो गया और फिर मोइउद्दीन ने मंदिर में ही पेशाब कर दिया। इस घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया है। घटना मुजफ्फरपुर में नगर थाना के कल्याणी चौक पर स्थित हनुमान मंदिर का है। जब भीड़ इकठ्ठा होने लगी, तो मौका पाकर मोइउद्दीन वहाँ से फरार हो गया। वहां मौजूद लोगों का कहना है कि इस प्रकार की घिनौनी हरकत के दौरान मोइउद्दीन महजबी नारे भी लगा रहा था।
एक और मानसिक विक्षिप्त:-
बता दें कि, अक्सर मंदिरों में इस तरह की हरकतें करने वाले मानसिक विक्षिप्त ही निकलते हैं। कुछ समय पहले हैदराबाद में दो बुर्कानशीं मुस्लिम महिलाओं ने देवी दुर्गा की प्रतिमा तोड़ दी थी, साथ ही चर्च जाकर जीसस और मदर मैरी की प्रतिमाएं तोड़ीं थी, उन्हें भी हैदराबाद पुलिस ने मानसिक बीमार बताया था। झारखंड में जिस रमीज अहमद ने मंदिर का ताला तोड़कर हनुमान जी की मूर्ति को खंडित कर दिया था, उसे भी पुलिस ने मानसिक रोगी बताया था। इसी तरह गोरखपुर में अल्लाह-हु-अकबर चिल्लाते हुए धारदार हथियार से पुलिस वालों पर हमला करने वाले अहमद मुर्तजा अब्बासी को भी उसके पिता और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख ने मानसिक बीमार ही बताया था। इस तरह की घटनाओं को देखने के बाद ये सोचने में जरूर आता है कि, मंदिरों पर हमला करने वाले मानसिक विक्षिप्त ही क्यों होते हैं और ये मानसिक विक्षिप्त कभी मस्जिद में ऐसी हरकत क्यों नहीं कर पाते ?
वहीं, एक सवाल यह भी उठता है कि, मोइउद्दीन की तरह की घटना यदि किसी दूसरे धर्मस्थल में होती तो क्या वो युवक जिन्दा भी बच पाता ? क्योंकि, हमने किसान आंदोलन के दौरान बेअदबी के मामले में एक व्यक्ति की हाथ-पैर कटी लाश देखी है, केवल सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करने के कारण कन्हैयालाल, उमेश कोल्हे, हर्षा जैसे लोगों की नृशंस हत्या देखी है, सड़कों पर खुलेआम 'सर तन से जुदा' के नारे लगते देखे हैं। सवाल यही बना हुआ है कि, यदि बहुसंख्यक होने पर भी हिन्दू इतना सहनशील है, तो इसका नाज़ायज़ फायदा कब तक उठाया जाएगा ?
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