राजीव गांधी के कत्ल के समय से ही शुरू हुआ था आतंकवाद विरोधी दिवस

राजीव गांधी के कत्ल के समय से ही शुरू हुआ था आतंकवाद विरोधी दिवस
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भारत में 21 मई को हर साल आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन को भारत का बच्चा- बच्चा नहीं भूल सकता क्योंकि इसी दिन भारत के सबसे युवा पीएम राजीव गांधी की हत्या हुई थी और उनकी हत्या की इस घटना में पूरी तरह से आतंकवाद का हाथ था यही कारण है कि उनकी हत्या के उपरांत से ही ये तय किया गया कि इस दिन को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

क्या हुआ था उस दिन?: 21 मई 1997 को राजीव गांधी एक रैली में भाग लेने के लिए तमिलनाडु के एक स्थान श्रीपेरंबदूर गए थे। उनके सामने एक महिला आई जो लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम के एक आतंकवादी समूह की मेंबर भी थी। उसके कपड़ों के नीचे विस्फोटक थे और उसने प्रधानमंत्री से संपर्क किया और बोला कि वह उनके पैर छूना चाहती है। जैसे ही वह पैर छूने लगी, अचानक बम विस्फोट हुआ जिससे कि वहां मौके पर पीएम और 25 लोग मारे गए।  

आतंकवाद विरोधी प्रतिज्ञा ली जाती है: राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस को मनाने की आधिकारिक एलान भारत के पूर्व पीएम वी.पी सिंह द्वारा किया गया। राजीव गांधी के कत्ल के उपरांत से इस दिन को हर वर्ष  इसी रूप में मनाया जाने लगा है। इस दिन सभी गवर्नमेंट कार्यालयों और सार्वजनिक संस्थानों में आतंकवाद विरोधी प्रतिज्ञा ली जाती है। विद्यालयों में विशेष तौर पर बच्चों के इस विषय में जागरूक किया जाता है। 

मनाने का उद्देश्य: इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य है लोगों के मध्य मानवता को जीवित रखना है। लोगों को आतंकवादी समूहों के बारे में समय-समय पर सूचना देना और उनके बीच जागरूकता को और भी बढ़ाना है। युवाओं को सही दिशा बतलाना ताकि वे भूलकर भी किसी भी लालच में विभिन्न आतंकवादी समूहों का भाग बन चुके है। देश, समाज और व्यक्ति सभी को आतंकवाद की छाया तक न पड़ने देने के उद्देश्य से इस दिन को मनाया जाता है। 

किस तरह मनाया जाता है?: आतंकवाद विरोधी दिवस के दिन ही पूर्व पीएम राजीव गांधी का कत्ल हुई थी इसलिए इस रोज कई स्थानों पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। आतंकवाद और उसके दुष्प्रभावों को उजागर करने के लिए बड़े पैमाने पर शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन रैलियां निकालकर भी लोगों को जागरूक किया जाता है। कोविड काल में सभी कार्यक्रम ऑनलाइन किये जा रहे हैं। कई सरकारी संस्थानों में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मृत्यु पर दो मिनट का मौन भी रखा जाता है। 

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