छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान जारी, अब तक 13 नक्सली ढेर

छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान जारी, अब तक 13 नक्सली ढेर
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रायपुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शनिवार को सुरक्षा बलों के बीच चल रही मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए। तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा पर पुजारी कांकेर के कर्रिगुटा जंगलों में छत्तीसगढ़ पुलिस के सहायक सहयोग से तेलंगाना के ग्रेहाउंड्स द्वारा नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व किया जा रहा है। घटनास्थल से नक्सलियों के शव और उनके हथियार बरामद किये गये हैं । घटनास्थल से अब तक एक लाइट मशीन गन (LMG) और एक एके-47 समेत हथियार बरामद किए गए हैं।

इससे पहले, एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ में एक नक्सली मारा गया। अधिकारी ने बताया कि मुठभेड़ किरंदुल पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक जंगल में उस समय हुई जब जिला रिजर्व गार्ड (DRG), बस्तर फाइटर्स और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान नक्सल विरोधी अभियान पर निकले थे। अधिकारियों ने कहा कि, "पुरांगेल, बड़ेपल्ली, डोडीतुमनार और गमपुर इलाकों में माओवादियों की मौजूदगी की जानकारी के आधार पर गुरुवार को ऑपरेशन शुरू किया गया था। गोलीबारी खत्म होने के बाद मौके से एक पुरुष नक्सली का शव और एक हथियार बरामद किया गया।" 

3 अप्रैल को बड़े नक्सल विरोधी अभियानों में से एक में, छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षा एजेंसियों के साथ मुठभेड़ में कुल 13 नक्सली मारे गए। सुरक्षा बलों ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति के माध्यम से जानकारी दी कि 2 अप्रैल को हुई भीषण गोलीबारी अगले दिन समाप्त हो गई। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) पी सुंदरराज ने कहा था कि, "छत्तीसगढ़ पुलिस ने नक्सल विरोधी अभियानों के इतिहास में अपनी सबसे बड़ी सफलताओं में से एक दर्ज की है। अब हम इसकी पुष्टि कर सकते हैं कि अप्रैल की रात बीजापुर जिले के गंगालूर के लेंड्रा और कोरचोली इलाकों में एक हजार से अधिक सुरक्षा बलों द्वारा किए गए ऑपरेशन में 1 और 2 अप्रैल को 13 नक्सली मारे गए। उनके शव बरामद किए गए हैं। हमें यह भी रिपोर्ट मिली है कि बड़ी संख्या में नक्सली गंभीर रूप से घायल हुए हैं।"

पुलिस ने कहा कि जिस इलाके में गोलीबारी हुई, वह नक्सलियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है, लेकिन पिछले तीन महीनों में इलाके में सुरक्षा बलों के 16 नए कैंप बने हैं। जवानों ने रातों-रात जंगलों और पहाड़ों के बीच करीब 20 किलोमीटर का कठिन सफर तय किया।  मुतावेंडी, पालनार, गंगालूर, बासागुड़ा और चेरपाल सुरक्षा शिविरों से नाइट विजन दूरबीन और नए जमाने के हथियारों से लैस सैनिकों ने ऑपरेशन शुरू किया। सूचना मिलने के बाद तलाशी शुरू की गई थी कि पश्चिम बस्तर डिवीजन के गंगालूर एरिया कमेटी की कंपनी नंबर 2, जो नक्सलियों का दूसरा सबसे शक्तिशाली संगठन है, को बीजापुर जिले में देखा गया है।

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