नई दिल्लीः केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक घोटाल पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे घोटालों के लिए नियामक, ऑडिटर और प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। वित्त राज्यमंत्री ने एक एक कार्यक्रम में कहा कि बैंकिंग क्षेत्र के नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने पीएमसी बैंक के मामले में खाताधारकों के लिए निकासी की सीमा 40,000 रुपये कर दी है। प्रभावित खाताधारकों का करीब 77 फीसद हिस्सा इस दायरे में आ जाता है।
इसके अलावा बैंक ने सभी खाताधारकों को एक लाख रुपये तक का भुगतान सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा, जहां तक पीएमसी बैंक या किसी भी अन्य बैंक का सवाल है, तो यह सबसे पहले नियामक की जिम्मेदारी बनती है कि वह इन मामलों को देखे। ऐसे मामलों के लिए ऑडिटर को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। फिर, बैंकों के दैनिक गतिविधियों की जिम्मेदारी प्रबंधन की होती है। अगर कोई धोखाधड़ी में शामिल होता है, तो प्रवर्तन निदेशालय कार्रवाई करता है।
पीएमसी बैंक पर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है और संपत्तियां भी जब्त की गई हैं। पिछली यूपीए सरकार का जिक्र करते हुए वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि उस दौरान बैंकों ने जमकर लोन बांटे हैं। जब से भाजपा सत्ता में आई है, वह बैंकों की बैलेंस शीट दुरुस्त करने में जुटी है। उनके अनुसार, साल 2009 तक बाजार में बैंकों का कुल बकाया 18 लाख करोड़ रुपये था। यह यूपीए-2 (2009-2014) की समाप्ति पर यानी 2014 में 58 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
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