हमारे शास्त्रों में राहु काल बहुत महत्वपूर्ण माना गया है जो सभी को प्रभावित करता है और कहा जाता है की राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार वह समय जब राहु अपने पूर्ण प्रभाव में होता है उसे ही राहु काल कहा जाता है, इस दौरान यदि कोई भी शुभ कार्य किया जाता है तो उसके सफल होने की संभावना बहुत ही कम होती है.
राहु को एक पाप ग्रह माना जाता है जो व्यक्ति के किसी भी शुभ कार्य में बाधा उत्पन्न करता है शास्त्रों में बताया गया है कि राहु काल के दौरान व्यक्ति को कोई यात्रा, धार्मिक कार्य या कोई भी नया कार्य प्रारंभ नहीं करना चाहिए. राहुकाल के विषय में कहा गया है की राहुकाल का समय सूर्योदय व सूर्यास्त्र के अनुसार अलग-अलग अवधि का होता है आइये जानते है राहुकाल से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें.
कब होता है राहुकाल – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहुकाल कभी भी सूर्योदय के प्रथम भाग में नहीं होता है इसका समय निश्चित नहीं होता ये कभी दोपहर तो कभी संध्याकाल के समय आता है तथा हमेशा सूर्यास्त के पहले है आता है.
राहुकाल का समय – राहुकाल सप्ताह के सातों दिन भिन्न-भिन्न समय पर आता है जैसे-
सोमवार को यह दिन के दूसरे प्रहर मेंआता है.
शनिवार को यह दिन के तीसरे प्रहर में आता है.
शुक्रवार को दिन के चौथे प्रहर में आता है.
बुधवार को यह दिन के पांचवे प्रहर में आता है.
गुरूवार को यह दिन के छठे प्रहर में आता है.
मंगलवार को यह दिन के सातवें प्रहर में आता है.
तथा रविवार को यह दिन के आठवें प्रहर में पड़ता है.
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