शिमला: कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार (13 दिसंबर 2024) को लोकसभा में अपने पहले भाषण के दौरान हिमाचल प्रदेश के किसानों की दुर्दशा का मुद्दा उठाया। उन्होंने राज्य के छोटे सेब किसानों की समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। हालाँकि, इस बयान से उनकी ही पार्टी असहज स्थिति में आ गई, क्योंकि हिमाचल प्रदेश में पिछले दो साल से कांग्रेस की ही सरकार है।
आज हिमाचल प्रदेश के किसान कांग्रेस सरकार से त्रस्त हैं, यह खुद प्रियंका वाड्रा ने स्वीकार किया। pic.twitter.com/oo0fKRYcGj
— Sambit Patra (@sambitswaraj) December 13, 2024
प्रियंका ने अपने भाषण में कहा, "हिमाचल प्रदेश के छोटे सेब किसान रो रहे हैं, क्योंकि सारी मदद एक ही व्यक्ति को दी जा रही है।" माना जा रहा है कि उनका इशारा अडानी ग्रुप की ओर था। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने बड़े कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने के लिए छोटे किसानों की उपेक्षा की।
हालाँकि, प्रियंका गांधी ने जो मुद्दा उठाया, वह वाकई महत्वपूर्ण है। हिमाचल प्रदेश के सेब किसान लंबे समय से उचित दाम न मिलने और सरकारी मदद की कमी की शिकायत कर रहे हैं। लेकिन यह भी सच है कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार को सत्ता में आए दो साल से अधिक हो चुके हैं। ऐसे में किसानों की समस्याओं का समाधान न होना, राज्य सरकार की ही विफलता को दर्शाता है।
अगर सेब के सही दाम न मिलने और किसानों की परेशानी का जिम्मेदार कोई है, तो वह राज्य सरकार है, क्योंकि कृषि से जुड़ी योजनाओं और उनकी क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सीधे राज्य सरकार पर होती है। प्रियंका गांधी का यह बयान, सीधे तौर पर उनकी ही पार्टी की सरकार की कमियों की ओर इशारा करता है।
प्रियंका गांधी के इस बयान ने उनकी पार्टी को असहज कर दिया। यह बयान राहुल गांधी के कुछ पुराने भाषणों की याद दिलाता है, जहाँ वे कई बार जल्दबाजी में ऐसी बातें कह जाते थे, जो खुद के खिलाफ चली जाती थीं। यहाँ भी, प्रियंका ने हिमाचल के किसानों की समस्याओं का जिक्र करते हुए राज्य सरकार की विफलता पर अनजाने में सवाल खड़े कर दिए।
अपने भाषण में प्रियंका गांधी ने महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर भी चिंता जताई। उन्होंने जातिगत जनगणना की वकालत करते हुए कहा कि इससे समाज के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा। इसके अलावा, उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा शासन में सामाजिक असमानता बढ़ी है।