द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने जो हमें शिक्षाएं दीं वह वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं. अगर हम इन बातों को जिंदगी में अपना ले तो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान हो सकता है .
श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं, जो भी आपका काम है, उसे पूरे मन से कीजिए. आपका जो वर्तमान काम है, उसे यदि आप भविष्य की चिंताओं में गिरवी रखकर करेंगे तो अपने लक्ष्य में कभी सफल नहीं हो पाएंगे.
भगवान श्रीकृष्ण कर्म करने की बात कहते हैं. जिसमें निडरता, आत्म नियंत्रण, निंदा न करना, विनम्रता और धैर्य शामिल हैं. यदि इन गुणों को अपने अंदर समाहित किया जाए तो भविष्य सुनहरा हो सकता है.
श्रीकृष्ण ने अपने मानव जीवन में जितनी भी लीलाएं कीं, वह सभी किसी ने किसी तरह से लोगों को प्रेरणा देती हैं. ये लीलाएं जितनी द्वापरयुग में प्रसांगिक थी, उतनी हीं आज भी अपना महत्व रखती हैं. व्यक्ति को हमेशा प्रेरणादायक बनने की कोशिश करते रहना चाहिए, ताकि लोग आपके अनुभव से सीख लेकर अपने जीवन को बेहतर बना सकें.
श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि लालच, क्रोध, ईर्ष्या और शक ऐसे विकार हैं, जो आपको एक बेहतर इंसान बनने से रोकते हैं. अच्छा और सच्चा जीवन जीने के लिए इन मनोविकारों से दूर ही रहना चाहिए. गीता में भगवान ने इन मनोविकारों से बचने की सीख दी है.
यहाँ पर लाल रंग की स्याही को मानते है अशुभजानिए हिमालय में स्थित ज्ञान मठ की चमत्कारी बाते