आप सभी ने अब तक भगवान राम जी के जीवन से जुड़ी कई सारी पौराणिक कथाएं सुनी होंगी. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी ही कथा के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो आपने शायद ही सुनी होगी. जी हाँ, वह कथा जिसमे एक अप्सरा ने भगवान राम को श्राप दिया था कि वह सीता से जल्द अलग हो जाएंगे. आइए जानते हैं वह कथा.
पौराणिक कथा - भगवान राम से जुड़ी इन्हीं पौराणिक कथाओं में से एक कथा इनके द्वारा किए गए बालि के वध से जुड़ी हुई है. इस कथा के अनुसार बालि का वध करने के चलते राम जी को अप्सरा द्वारा श्राप दिया गया था और इसी श्राप के कारण राम जी के जीवन से सीता मां दूर चली गई थी. बालि और श्रीराम जी की कथाबालि से जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार ये देवराज इंद्र के पुत्र थे और ये काफी बलवान हुआ करते थे. बालि का एक भाई भी था जिसका नाम सुग्रीव था.
सुग्रीव और बालि के बीच में काफी दूरी थी और कहा जाता है कि बालि ने अपने भाई का राज्य और उसकी पत्नी को उससे छीन लिया था. जिसके कारण सुग्रीव अपने भाई से बदला लेना चाहते थे और अपने राज्य को वापस से हासिल करना चाहते थे. राम जी के वनवास के वक्त ही सुग्रीव की मुलाकात इनसे हुई थी. राम जी से मुलाकात करने के दौरान सुग्रीव ने उन्हें अपने भाई के बारे में बताया और राम जी से अपने राज्य को वापस पाने के लिए मदद मांगी. राम जी सुग्रीव की मदद करने के लिए तैयार भी हो गए. बालि को हारना था नामुमकिनराम जी को अपने भाई के बारे में बताते हुए सुग्रीव ने कहा कि उनका भाई काफी बलवान है और जो भी उसके भाई से लड़ता है उस व्यक्ति की आधी शक्ति उसके पास चली जाती है.
जिसके कारण मेरे भाई को हारना मुश्किल है. सुग्रीव की बात सुनने के बाद राम जी ने बालि के सामने ना जाने का निर्णय लिया और जिस वक्त बालि और सुग्रीन के बीच युद्ध हो रहा था उस वक्त राम जी ने पीछे से बालि पर तीर चलाकर उनका वध कर दिया. बालि की पत्नी ने राम को दिया श्रापबालि की मौत की खबर सुनने के बाद उनकी पत्नी को काफी दुख हुआ और जब तारा को पता चला कि किस तरह से उनके पति का वध किया गया है वो गुस्से में आ गई. इतना ही नहीं तार जो कि अप्सरा थी उन्होंने राम जी को श्राप दे डाला. राम जी को श्राप देते हुए तारा ने कहा कि राम अपनी पत्नी को पाने के बाद उसे फिर से खो देंगे.
साथ में ही अगले जन्म में राम जी की मृत्यु उनके पति के ही हाथों होगी. तारा का दिया गया से श्राप सच साबित हुआ और राम जी ने सीता को रावण की कैद से आजाद करने के बाद फिर से खो दिया. वहीं अगले जन्म में राम जी ने श्रीकृष्ण का अवतार लिया और उनकी मृत्यु बालि के अवतार यानी शिकारी भील जरा के द्वारा की गई थी और इस तरह से तारा द्वारा दिया गया राम जी को श्राप सच हो गया. आपतो बता दें की भगवान राम जी विष्णु के सातवें अवतार थे और भगवान श्री कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार थे.
पांडवों के सगे मामा ने की थी दुर्योधन की ओर से लड़ाई और दिखाई थी अपनी यह चालाकी