लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया की मदद से फैन्स को बस इतना पता है कि अर्चना पूरण सिंह अपने गार्डन में मस्ती करती हैं और अपनी मेड भाग्यश्री से ढेर सारी बातें करती हैं. परन्तु क्या वाकई अर्चना पूरण सिंह का लॉकडाउन इन्ही चीजों के इर्द गिर्द घूम रहा है. एक मोदिया रिपोर्टर के साथ बातचीत में अर्चना पूरण सिंह ने बताया कि वह लॉकडाउन के दौरान किस तरह अपना वक्त गुजार रही हैं. इसके अलावा लाफ्टर क्वीन अर्चना लॉकडाउन को अपने लिए वरदान समझकर अपने रूटीन का खास ख्याल रख रही हैं. इसके अलावा समय से उठना, योग करना, सेहतमंद भोजन करना, फिट रहने के लिए एक्सरसाइज करना और फैमिली के साथ समय बिताना उनके रूटीन में शुमार हो गया है. वहीं अर्चना पूरण सिंह ने कहा कि पहले कुछ ज़्यादा रूटीन नहीं था परन्तु अब बहुत ज़्यादा हो गया है. जब से लॉक डाउन हुआ है तब से सब के टाइमिंग्स एक हो गए हैं. वहीं अर्चना ने कहा कि किसी को बाहर जाना नहीं, किसी का कोई अपॉइंटमेंट या शूटिंग नहीं. इसलिए हम लोगों ने सोचा कि इस लॉक डाउन के बाद जब भी हम बाहर निकलें तो फिज़िकली और मेंटली बेहतर इंसान बनकर निकलें. ऐसा लगना चाहिए कि ये जो वक़्त है, वो हमने व्यर्थ नहीं किया क्योंकि समय को व्यर्थ करना बहुत आसान है. ये बात हम सबने गांठ बांधकर रख ली है. अर्चना ने कहा, "मैं तो हमेशा वॉक करती थी पहले गेट के बाहर करती थी फिर अपने घर के गेट के अंदर अपने घर की परिक्रमा करने लगी.
इसके अलावा अर्चना ने बताया, "पहले मेरी मम्मी भी हमेशा कॉम्प्लेक्स में जाती थीं अपनी दोस्त से मिलने लेकिन अब वो भी अपने बगीचे में ही घूमती हैं क्योंकि वो घूमने से बाज़ नहीं आएंगी. फिर बच्चों ने भी बोला कि हम भी जॉगिंग करेंगे और परमीत भी एक्सरसाइज के फ़ेवर में रहते हैं. तो हम सबने मिलकर एक रूटीन बना लिया कि शाम में ही वर्कआउट करेंगे क्योंकि ज़्यादा थकेंगे तो नींद भी अच्छी आएगी. वहीं तो हमने हर दिन डेढ़-दो घंटे एक्सरसाइज करना शुरू कर दिया और हमारा रूटीन भी बंध गया.वहीं "अर्चना ने बताया, "बहुत पहले से मैंने सोच रखा था कि योग शुरू करना है पर किसी कारण हो ही नहीं पाता था. परन्तु अब जब टाइम मिला है तो रोज़ सुबह उठकर योग करती हूं. मुझे देखकर मेरा बड़ा वाला बेटा भी डेढ़ घंटे योग करने लगा. हम श्री श्री रविशंकर की क्रिया करते हैं तो हमें देखकर परमीत और मेरा छोटा बेटा भी आ गए और अब हम चारों एक कमरे में अलग-अलग जगहों पर बैठकर क्रिया करने लगे. तो धीरे-धीरे ये रूटीन बन गया और अब ऑटोमेटिकली सब ग्यारह-सवा ग्यारह बजे तक एक कमरे में आ जाते हैं और क्रिया करते हैं.वहीं "अर्चना पूरन सिंह ने बताया कि पहले हम अलग-अलग कमरों खाना खाते थे. किसी को जल्दी जाना रहता था तो वो अपने कमरे में खाना खा लेता था, कोई अपनी टीवी के सामने बैठकर खाता था. परन्तु अब क्या हुआ, इस लॉक डाउन में स्टाफ कम है, कुछ गांव चले गए हैं तो सब मिल बांटकर काम कर लेते हैं और हम लोग भी नियमित रूप से डाइनिंग रूम में 2 बजे आ जाते हैं, तो स्टाफ भी पौने दो बजे तक लंच लगा देते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें की एक दिन हम डाइनिंग टेबल पर खाना खाते वक़्त बात कर रहे थे तो मेरे दोनों बेटों ने कहा कि,"वी प्रेफर दिस." तो अब हम सबने कुछ-कुछ प्रण लिए हैं कि ये लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी हम ये नहीं भूलेंगे और साथ में डाइनिंग टेबल पर ही खाना खाएंगे.अर्चना पूरन सिंह ने बताया कि कुकिंग मेरे करने की ना ही ज़रूरत पड़ी और ना ही नौबत आई क्योंकि मेरे दोनों बेटे घुस गए किचन में. मेरे बड़े वाले बेटे ने एक से बढ़कर एक पास्ता बनाना शुरू किया, जो कभी किचन की तरफ देखता भी नहीं था और छोटे वाला तो हमेशा से बेकिंग करता था. लेकिन उसने छोड़ दिया था काफी साल पहले क्योंकि वो न्यूयॉर्क चला गया था और वापस आया तो वो धर्मा प्रोडक्शन में असिस्टेंट बन गया, उसे टाइम ही नहीं मिलता था तो उसने रीडिस्कवर किया की उसे कितना मज़ा आता है किचन में अवन में कुछ बनाने का.अर्चना ने बताया कि जब बड़े वाले बेटे ने देखा कि छोटा वाला बना ही रहा है तो वो एक-दो हफ्ते में किचन से बाहर आ गया लेकिन ये छोटे वाले ने तो कमाल ही कर दिया है. जब हम डाइनिंग टेबल पर जाकर देखते हैं तो बड़े खुश होते हैं. उसने ऐसी -ऐसी कमाल की चीज़ें बनाई हैं कि वाकई दुनिया भर के रेस्टॉरेन्ट में खाने के बाद अब एहसास हो रहा है कि आप अपने घर में यदि आराम से और प्यार से सिंपल चीजों के साथ अगर आप अपनी मनपसंद चीज़ बनाएं तो उस से टेस्टी और कुछ हो नहीं सकता.
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