कहीं आप भी तो नही इस परेशानी का शिकार

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यूट्रस यानी बच्चेदानी महिलाओं के शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग माना जाता है, जो प्रेगनेंसी के दौरान भ्रूण (Fetus) को सहारा देने का काम भी करता है, लेकिन कई बार बच्चेदानी (Uterus) में समस्याएं पैदा हो सकती है, जो महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. इन समस्याओं को कभी भी इग्नोर नहीं करना चाहिए. इनके लक्षण नजर आते ही तुरंत डॉक्टर से मिलकर सलाह लेना बहुत जरुरी हो जाता है. आइए जानते हैं कि बच्चेदानी में कौन-कौन सी परेशानियां हो सकती हैं और उनके लक्षण क्या हैं...

बच्चेदानी में कौन-कौन सी परेशानियां

1. बच्चेदानी की सूजन: बच्चेदानी की सूजन बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण से हो सकता है. इसमें उनके पेट में हमेशा ही दर्द बना रहता है, बुखार आता है या वैजाइनल डिस्चार्ज भी होने लग जाता है. ऐसी समस्याओं को इग्नोर नहीं करना चाहिए.

2. यूट्रस में पॉलीप्स: इतना ही नहीं महिलाओं की बच्चेदानी की पॉलीप्स एक ऐसी परेशानी है जो यूट्रस की दीवार पर हो सकती है. इसमें पीरियड्स के वक़्त पर नहीं आता है. पेट दर्द हमेशा ही बना रहता है, बिना किसी कारण थकान  जैसा लगने लग जाता है या वैजाइनल डिस्चार्ज की समस्या हो सकती है.

3. फाइब्रॉइड्स: यह यूट्रस से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें बच्चेदानी के अंदर या बाहर गांठें बनने लग जाती है. इन्हें ट्यूमर भी बोला जाता है. इससे पीड़ित महिला के पीरियड्स प्रभावित हो सकते हैं, एनीमिया यानी खून की कमी देखने के लिए मिल सकती है. यहां तक की बांझपन भी झेलना पड़ सकता है. इस समस्या के नजरअंदाज करना भारी हो सकता है.

4. एंडोमेट्रियोसिस: यूट्रस से जुड़ीइस बीमारी की लाइनिंग एंडोमेट्रियम बोली जाती है. ये पीरियड्स में ब्लीडिंग के तौर पर शरीर से बाहर आने लग जाता है. एंडोमेट्रियोसिस होने पर एंडोमेट्रियम में उन स्थानों पर बढ़ जाता है, जहां नहीं बढ़ना चाहिए. जैसे- ओवरी, आंत और पेल्विक कैविटी टिशूज. इसमें खून बाहर आने की बजाय अंदर ट्यूब में ही जमने लगता है, जिससे प्रगनेंसी में दिक्कतें होने लग जाती है. कई अध्ययनों में पाया गया है कि दुनिया में हर 10 में से एक महिला को ये परेशानी है. इससे बांझपन जैसी समस्याएं पैदा होने लग जाती है.

बच्चेदानी की समस्याओं का इलाज

1. बच्चेदानी की सूजन या इंफेक्शन के इलाज के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं खा सकते है.

2. बच्चेदानी की पॉलीप्स या ट्यूमर का इलाज सर्जरी से किया जा सकता है.

3. महिलाओं में इस तरह की समस्याओं के लिए उन्हें हार्मोनल दवाएं भी डॉक्टर दे सकते हैं.

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