श्रीनगरः केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद मुख्यधारा की दो परस्पर विरोधी पार्टीयां पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने साथ आकर सरकार का विरोध किया था। इस दौरान उन्होंने अपनी आपसी कटुता को दरकिनार इस मुद्दे पर साथ आए थे। दोनों ने मिलकर केंद्र के विरूद्ध मोर्चा खोला था। लेकिन लगता है ये साथ शायद अधिक दिनों तक कायम नहीं रह सका। धारा 370 हटाए जाने के बाद सरकार ने दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं को नजरबंद कर दिया है। सरकार ने इस कदम को शांति के लिए जरूरी बताया है।
एक अखबार में छपे रिपोर्ट के अनुसार,नजरबंदी के दौरान ही पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेकां नेता उमर अब्दुल्ला के बीच बाताबाती हो गई। कहासुनी इतनी अधिक बढ़ गई कि दोनों नेताओं को अलग-अलग करना पड़ा। इस वाक-युद्द की वजह ये थी कि दोनों नेता एक-दूसरे पर घाटी में बीजेपी को लाने और उसके फलने-फूलने का आरोप लगा रहे थे। इसी दौरान उमर अब्दुल्ला ने दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद पर बीजेपी से 2015 और 2018 में गठबंधन करने का ताना जड़ा। इसके बाद तो दोनों के बीच भयंकर कहासुनी छिड़ गया।
महबूबा मुफ्ती ने उमर को भी उनके दादा शेख अब्दुल्ला को भी 1947 में जम्मू-कश्मीर के विलय के लिए जिम्मेदार ठहराया। नतीजा ये हुआ कि दोनों को अलग-अलग करना पड़ा। महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला पर प्रहार करते हुए उन्हें याद दिलाया कि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में गठबंधन किया था और उस दौरान आप विदेश राज्य मंत्री थे। गौरतलब है कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू और लद्दाख में तो स्थिति ठीक है मगर कश्मीर में अब भी स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हुई है।
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