नई दिल्ली. हम केवल इतना जानते हैं कि अर्जुन तेंदुलकर देश के महान क्रिकेटर सचिन के बेटे हैं. ये भी जानते हैं कि वह कुछ साल से मुंबई की टीम में जूनियर और सब जूनियर स्तर पर खेल रहे हैं. लेकिन बहुत सी बातें हैं. जो हमें जानना चाहिए. हालांकि ये भी सही है कि एक दिग्गज पिता का बेटा होने के कारण उन पर दबाव भी ज्यादा है. लेकिन उन्होंने इसके साथ जीना शायद सीख लिया है.
1. इंग्लैंड में सीखे तेज गेंदबाजी के गुर- पिछले कुछ सालों से अर्जुन गर्मियों में इंग्लैंड जाते हैं और वहीं तेज गेंदबाजी के गुर सीखते हैं. वैसे पिता सचिन ने आठ साल की उम्र में ही उनकी क्रिकेट कोचिंग शुरू करा दी थी.
2. बैरिस्टो खा गए चक्कर- वह नामी गिरामी क्रिकेटरों को नेट प्रैक्टिस में गेंदबाजी करा चुके हैं. एक बार जब वह इंग्लैंड टीम को नेट प्रैक्टिस करा रहे थे. तब जॉनी बैरिस्टो बैटिंग कर रहे थे. उन्होंने इतनी तेज यार्कर गेंद फेंकी कि बैरिस्टो उसको बिल्कुल नहीं समझ पाए. गेंद उनके घुटने में लगी और उन्हें मैदान के बाहर जाना पड़ा.
3. मैकग्रा और अकरम हैं प्रभावित- ग्लेन मैकग्रा और वसीम अकरम जैसे तेज गेंदबाज और दिग्गज क्रिकेटरों ने अर्जुन की तेज गेंदबाजी की तारीफ की है. मैकग्रा ने उन्हें तब देखा था जब महाराष्ट्र के किशोर गेंदबाजों को एमआरएफ पेस एकेडमी में भेजा गया था. तब मैकग्रा वहां कोचिंग दे रहे थे. उन्होंने अर्जुन को गेंदबाजी करते देखा और उनसे प्रभावित हुए. अर्जुन को पिता की तरह ही खेल के प्रति जुनूनी पाया. उसी तरह वसीम अकरम ने उन्हें आईपीएल के दौरान तेज गेंदबाजी के गुर दिए.
4. छह फुट है लंबाई- अर्जुन अपने नामी पिता सचिन से लंबे हैं. उनका कद छह फुट है. कद और काठी भी मजबूत है. सचिन की लंबाई पांच फुट, पांच इंच है. वह आमतौर पर मीडिया से बचते हैं.
5. अालराउंडर क्रिकेटर- वह 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गेंदबाजी करते हैं, साथ ही मध्य क्रम में बढिया बैटिंग भी. उन्हें मुंबई की अंडर19 टीम में आलराउंडर के रूप में सेलेक्ट किया गया है.
6. पिता से ये है अंतर- अंडर 14 और अंडर 16 में अपने प्रदर्शन से उन्होंने सबको प्रभावित किया है. वह दोनों में ही शतक लगा चुके हैं. अगर सचिन तेंदुलकर दाएं हाथ के बल्लेबाज और दाएं हाथ के गेंदबाज थे तो अर्जुन बाएं हाथ से गेंदबाजी करते हैं और बाएं हाथ से ही बैटिंग.
7. बॉल बॉय भी बने- वह वानखेडे स्टेडियम में बॉल बॉय भी बन चुके हैं लेकिन केवल अपने पिता के दो मैचों में. जब सचिन 200वां मैच खेल रहे थे तब भी अर्जुन वानखेडे में बॉल बॉय थे और जब आखिरी मैच खेल रहे थे तब भी अर्जुन ने अपने लिए यही भूमिका चुनी थी. ताकि अपने पिता को करीब से खेलते हुए देख सकें. उन्होंने अपनी पढाई मुंबई के धीरू भाई अंबानी इंटरनेशऩल स्कूल से की.
8. तब अर्जुन को आया गुस्सा- वह आमतौर पर शांत हैं लेकिन अगर कोई उनके पिता को कुछ कहता है तो उन्हें गुस्सा भी आ जाता है. ये वर्ष 2007 के वर्ल्ड कप की बात है. अर्जुन तब सात साल के थे. वेस्टइंडीज के उस विश्व कप में भारतीय टीम ने बहुत खराब प्रदर्शन किया था. जब उनके एक दोस्त ने स्कूल में उनसे कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम पहले ही राउंड में इसलिए बाहर हो गई क्योंकि सचिन शून्य पर आउट हो गए थे. उन्होंने तुरंत उस दोस्त को घूंसा जड़ दिया. उसे चेतावनी दी कि वह आइंदा उनके पिता के बारे में कुछ नहीं बोलेगा.
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