नई दिल्ली : कश्मीर घाटी में जारी हिंसा के बीच सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने स्पष्ट किया है कि सेना आम कश्मीरियों के खिलाफ नहीं है. जनरल रावत का कहना था कि सेना सभी कश्मीरियों को आतंकी नहीं मानती. ऐसे सिर्फ चुनिंदा लोग हैं जो आतंक और हिंसा में लगे हैं.सेना का काम आतंकियों को कश्मीर की आम आबादी से अलग कर निशाना बनाना है.
उल्लेखनीय है कि एक अख़बार से हुई बातचीत में सेना प्रमुख रावत ने इस बात से इंकार किया कि सेना घाटी में फिर से कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन (कासो) चला रही है.बता दें कि इस अभियान में एक गांव के सभी लोगों को एक जगह इकट्ठा करके हर घर की तलाशी ली जाती थी. लेकिन अब सेना ने खुफिया जानकारी के आधार पर कुछ घरों की तलाशी लेने की रणनीति अपनाई है. सेना का फोकस घने जंगलों में छिपे आतंकियों को ठिकाने लगाने पर है.
स्मरण रहे कि पिछले गुरुवार को सेना ने शोपियां इलाके के 15 जिलों में ऐसा ही ऑपरेशन चलाया था. अभी सिर्फ एरिया सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं.इन्हें घेराबंदी कहना गलत है. सम्भावना है कि दक्षिणी कश्मीर में एरिया सर्च ऑपरेशन अमरनाथ यात्रा तक जारी रहेंगे. इस साल ये यात्रा 29 जून से शुरू होकर 7 अगस्त को खत्म होगी.
इस बातचीत में जनरल रावत ने सभी कश्मीरियों से शहीद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज के कत्ल की निंदा करने की मांग की. उन्हें आतंकियों ने बुधवार को गोलियों का निशाना बनाया था. वो सेना में भर्ती होने के बाद पहली बार छुट्टियों पर घर लौटे थे. वे कश्मीरी युवाओं के लिए रोल मॉडल थे.आतंकी कश्मीर के नौजवानों को रोजगार के मौकों से दूर रखना चाहते हैं. सच तो ये है कि कश्मीर में पुलिस भर्ती में हजारों युवा शामिल होते हैं.
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