कोलकाता: पश्चिम बंगाल में नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में अर्पिता मुखर्जी को करीब 857 दिनों बाद जमानत मिल गई है। सोमवार को कोलकाता की विशेष ईडी अदालत ने उन्हें 5 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी। अर्पिता को जून 2022 में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के साथ गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी के समय करीब 52 करोड़ रुपये नकद और 3 करोड़ रुपये की ज्वेलरी बरामद हुई थी।
अर्पिता को निचली अदालत से जमानत मिलना एक खास मामला है, क्योंकि भर्ती भ्रष्टाचार से जुड़े अन्य मामलों में आमतौर पर जमानत के लिए हाई कोर्ट जाना पड़ता है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अर्पिता अपना पासपोर्ट जमा कर दें और कोलकाता पुलिस के अधिकार क्षेत्र से बाहर न जाएं। 22 जुलाई 2022 को ईडी ने अर्पिता के टालीगंज स्थित फ्लैट पर छापा मारा था, जहां बड़ी मात्रा में नकदी मिली। इसके बाद बेलघरिया के फ्लैट से भी करोड़ों रुपये बरामद हुए थे। ईडी ने अर्पिता को गिरफ्तार कर लिया और उनकी पार्थ चटर्जी से करीबी को उजागर किया।
इस दौरान अर्पिता ने बार-बार दावा किया कि बरामद पैसा उनका नहीं है। हालांकि, उनकी इस बात को कोर्ट में पूरी तरह साबित नहीं किया जा सका। इससे पहले, अर्पिता को उनकी मां के निधन के कारण पांच दिन के लिए पैरोल पर छोड़ा गया था। पैरोल अवधि खत्म होने से पहले ही उन्हें जमानत दे दी गई। दूसरी ओर, पार्थ चटर्जी की जमानत पर कलकत्ता हाई कोर्ट के दो जज एकमत नहीं हो सके। इस वजह से मामले को तीसरी बेंच के पास भेजा गया है। अब न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती इस पर फैसला करेंगे।