नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरूवार यानी 6 सितम्बर 2018 के दिन समलैंगिकता से जुडी धारा 377 पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। अपने इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भारत में समलैंगिक यौन संबंधो को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। इस वजह से भारत में अब से समलैंगिक संबंधों को वैध माना जायेगा। इस तरह से भारत समलैंगिक संबंधों को वैध मानने वाले 126 वां देश बन गया है।
इंद्रधनुषी झंडे से ये है समलैंगिकता का कनेक्शन? आप भी जान लीजिये
कोर्ट के इस फैसले के बाद देश भर में LGBT (लेस्बियन गे बाईसेक्सुअल ट्रांसजेंडर ) कम्युनिटी में खुशियों की लहर दौड़ उठी थी और पुरे भारत के LGBT समुदाय ने सड़को पर निकल कर जश्न मना कर अपनी खुशियाँ जाहिर की थी। लेकिन दुनिया के दूसरे कई देशों के LGBT समुदाय इतना खुशनसीब नहीं है। कई देशों में समलैंगिक संबंधों को लेकर तरह तरह के कानून है और कही-कही तो इसे गभीर अपराध मान कर मृत्यु दंड भी दिया जाता है। आइये आज हम आपको बताते है कि भारत के पडोसी देशो में समलैंगिकता को लेकर क्या-क्या नियम है।
नेपाल
नेपाल में गे राइट्स एक्टिविस्ट द्वारा किये गए आंदोलन के बाद साल 2007 में समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद अगस्त 2015 में नेपाल ने अपने संविधान में संसोधन कर के LGBT समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यकों की श्रेणी में लेकर उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा देने का प्रावधान भी बनाया था। हालांकि नेपाल में एक ही जेंडर के लोगों का आपस में शादी करना अभी भी गैरकानूनी है।
पाकिस्तान
पकिस्तान में समलैंगिक संबंधों को लेकर बेहद सख्त कानून है। यहाँ पर समलैंगिक यौन संबंध बनाने पर उम्रक़ैद तक की सज़ा सुनाई जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि साल 2018 में एक क़ानून के पास होने के बाद से ही पाकिस्तान ने तीसरे जेंडर को मान्यता दी गई है लेकिन पाकिस्तान के गे राइट्स एक्टिविस्ट्स ने दावा किया है कि वहां पर खुलेआम गे होने की बात स्वीकारना आज भी सुरक्षित नहीं है। संयोग की बात है कि भारत की तरह ही पकिस्तान के संविधान में भी समलैंगिकता से जुड़े नियमो का जिक्र पकिस्तान के संविधान की धारा 377 में ही किया गया है।
बांग्लादेश
भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश भी समलैंगिक संबंधों को लेकर बेहद सख्त है। यहाँ पर LGBT द्वारा यौन संबंध बानाने पर 10 साल से लेकर उम्रक़ैद तक की सजा का कानून है। बांग्लादेश की जनता में भी LGBT समुदाय को लेकर घृणा और भेदभाव के किस्से सामने आते रहते है। साल 2016 में यहाँ पर दो प्रसिद्ध गे राइट्स एक्टिविस्ट की हत्या कर दी गई थी।
आज ही नहीं, पौराणिक काल में भी थे समलैंगिक संबंध
श्रीलंका
बांग्लादेश और पाकिस्तान की तरह श्रीलंका में भी समलैंगिक संबंध को अपराध माना जाता है। श्रीलंका के कानून के मुताबिक यहाँ पर समलैंगिक संबंध बनाने पर 10 साल से लेकर उम्रक़ैद तक की सज़ा का प्रावधान है। यहाँ पर जनवरी 2017 में LGBT समुदाय ने समलैंगिक संबंध को अपराध से बाहर करने की मांग की थी लेकिन श्रीलंका की कैबिनेट ने इसे स्वीकार करने से साफ़ मना कर दिया था।
म्यांमार
भारत के अधिकतर पडोसी देशो की तरह ही म्यांमार में भी समलैंगिकों के रिश्तों को लेकर ब्रिटिश काल का ही कानून चला आ रहा है जिसके अनुसार यहा पर समलैंगिक संबंध को अपराध माना जाता है। यह पर LGBT द्वारा यौन संबंध बानाने पर भारी जुर्माने के साथ 10 साल से लेकर उम्रक़ैद तक की सज़ा का कानून है।
हालांकि क़ानूनी तौर पर समलैंगिकों के रिश्तों के वैध नहीं होने पर भी यह के समाज में इसे लेकर खुली सोच है और यहाँ पर एलजीबीटी थीम पर एक कैफ़े भी खोला जा चुका है। इसके साथ ही पिछले कुछ सालों से यहाँ किसी को समलैंगिक संबंध को लेकर सज़ा होने की भी कोई बात सामने नहीं आई है।
ख़बरें और भी
धारा 377 पर जीत के बाद भी ख़त्म नहीं हुई है LGBTQ की मुश्किलें
समलैंगिकता पर लड़ रही सेलिना का सभी ने छोड़ा था साथ, आज हैं खुश
आर्टिकल 377 : भारत बना समलैंगिक संबंधों को वैध मानने वाला 126 वां देश, इन देशो में है यह सजा