Article 377: समलैंगिक संबंध प्राकृतिक है: वकील

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देश में लम्बे समय से धारा 377 पर चल रही बहस में आज सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक फैसला आना है, जिसके अनुसार यह निर्धारित होगा कि इन मामलों में समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाएगा या अपराध की श्रेणी के अंतर्गत.  इस बारे में कोर्ट में कुछ देर पहले ही याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट में उपस्तिथ मुकुल रोहतगी ने कहा है कि यह प्राकृतिक है. 

मुकुल रोहतगी ने कहा, 'धारा 377 किसी के मानवाधिकारों का उल्लंघन है. यह मुद्दा केवल यौन अनुकूलन से संबंधित है और इसका लिंग से कोई लेना-देना नहीं है. जैसे-जैसे समाज बदलता है, मूल्य बदलते हैं, हम कह सकते हैं कि 160 साल पहले जो नैतिक था, वो अब नैतिक नहीं हो सकता है'

आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट में चल रही बहस का मुख्य कारण है समलैंगिक संबंधों पर जब कोई आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे आरोपी माना जाए या नहीं. इन मामलों में धारा 377 के अनुसार 10 साल की कैद है वहीं जमानत का कोई रास्ता नहीं. वहीं पुलिस को यह कानून कुछ विशेष अधिकार मुहैया कराता है, जिसके अनुसार पुलिस बिना किसी वारंट के इस मामले के आरोपी को पकड़ सकती है. 

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