वाशिंगटन: वर्ष 2001 यानि आज से 20 वर्ष पूर्व अमेरिका खतरनाक आतंकी हमलों से दहल उठा था। 11 सितंबर 2001 अमेरिका के इतिहास में काले दिन के रूप में दर्ज है। इस दिन विश्व का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसने 2997 लोगों की जान ले ली। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इस घटना को अमेरिकी इतिहास का सबसे काला दिन बताया था। 11 सितंबर 2001 की उस सुबह को कोई भी भूला नहीं पाया है, जब रोज़ की तरह विश्व की सबसे ऊंची इमारतों में शामिल वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर में भी लगभग 18 हजार कर्मचारी रोजमर्रा का काम निपटाने में लगे हुए थे, किन्तु सुबह 8:46 मिनट पर कुछ ऐसा हुआ कि अब तक सामान्य सी मालुम पड़ रही, यह सुबह खून से नहा उठी।
उस दिन 19 अल कायदा के आतंकियों ने 4 पैसेंजर एयरक्राफ्ट हाईजैक कर लिए थे और जानबूझकर उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया, जिससे विमानों में मौजूद सभी लोग तथा बिल्डिंग के अंदर काम कर रहे हजारों लोग भी मारे गए थे। यह हमला जिन विमानों से किया गया उनकी रफ्तार 987.6 किमी/घंटा से अधिक थी। दोनों इमारतें दो घंटे के भीतर ढह गए, पास की इमारतें नष्ट हो गईं और अन्य क्षतिग्रस्त हुईं। इसके बाद उन्होंने तीसरे विमान को वाशिंगटन DC के बाहर, आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन में टकरा दिया। वाशिंगटन डीसी की तरफ टारगेट किए गए चौथे विमान के कुछ यात्रियों एवं उड़ान चालक दल द्वारा विमान का नियंत्रण फिर से लेने की कोशिश के बाद, विमान ग्रामीण पेंसिल्वेनिया में शैंक्सविले के पास एक खेत में क्रैश होकर गिरा। हालांकि किसी भी विमान में से कोई भी जिन्दा नहीं बच सका।
इस खौफनाक हमले में 2997 लोगों की मौत हो गई थीं, जिनमें 400 पुलिस अधिकारी और फायरफाइटर्स भी शामिल थे। मरने वालों में 57 देशों के नागरिक शामिल थे। पूरी इमारत लगभग 2 घंटे के अंदर मलबे में तब्दील हो गई थी। मारे गए लोगों में से सिर्फ 291 शव ही ऐसे थे, जिनकी ठीक से शिनाख्त की जा सके। बता दें कि इस हमले के बाद भारतीय व्यापारियों ने हजारों टन मलबे को लगभग 23 करोड़ रुपए में खरीदा था। इसमें से निकले लोहा और स्टील को रिसाइकल कर नई इमारतों में उपयोग किया गया था। इस दर्दनाक हमले के पीछे अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन का हाथ था। फिर अमेरिका ने बदले की कार्रवाई करते हुए 2 मई 2011 को पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा को ढेर कर दिया था। हालांकि इसमें पूरे 10 सालों का समय लग गया। 13 वर्षों के बाद वहीं नई इमारत काम करने के लिए खोल दी गई।
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