नई दिल्ली: आज समाज सुधारक, दार्शनिक, लेखक, अनुवादक और शिक्षाशास्त्री ईश्वर चंद्र विद्यासागर की जयंती है। उन्हें बंगाल पुनर्जागरण के स्तंभों में से एक माना जाता है। आज उनकी जयंती के इस मौके पर हम आपको उनके जीवन से संबंधित कुछ ख़ास बातों से रूबरू करवाते है।
पारित करवाया विधवा पुनर्विवाह कानून :-
देश की महिलाओं को सशक्त बनाने में ईश्वर चंद्र विद्यासागर जी का काफी बड़ा योगदान था। उन्होंने उस दौर में महिलाओं के लिए अधिकार की लड़ाई लड़ी जब महिलाओं का घर से निकलना भी वर्जित होता था। यह उनके प्रयासों का ही फल है जो देश में विधवा पुनर्विवाह कानून पारित हो पाया था। इतना ही नहीं उन्होंने अपने इकलौते बेटे की शादी भी एक विधवा से कराई थी।
इस तरह नाम से विद्यासागर नाम;-
ईश्वर चंद्र विद्यासागर का वास्तविक नाम ईश्वर चंद्र वंद्योपाध्याय था, मगर उनकी विद्वता और ज्ञान के भंडार को देखते हुए लोगों ने उन्हें विद्यासागर बुलाना शुरू कर दिया था। धीरे-धीर उनका नाम ईश्वर चंद्र विद्यासागर ही हो गया। उन्हें विज्ञान से लेकर धर्म तक के कई पहलुओं का गहन ज्ञान था।
दया के सागर थे विद्यासागर:-
ईश्वर चंद्र विद्यासागर की दया और करुणा के चर्चे आज भी लोगों के बीच सुने जाते हैं। उन्हें उनके नम्र व्यक्तित्व की वजह से पुरे देश में दया के सागर के नाम से भी जाना जाता था। विद्यासागर हमेशा लोगों की सहायता करते रहते थे।
पिछड़ी जातियों को भी दिलाया सम्मान :-
ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने निचली जाती के लोगों के लिए भी काफी संघर्ष किया था। उन्होंने समाज में पिछड़ी जातियों के लोगों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने के लिए काफी प्रयत्न किए थे। उनके प्रयासों और संघर्ष की वजह से ही संस्कृत विश्वविद्यालय में निम्न जातियों के लोगों को पढ़ने की इजाजत मिली थी।
तीन दिन लगातार बारिश के बाद दिल्ली-NCR में बदला मौसम, छाने लगा कोहरा
'बंगाल को बदनाम किया जा रहा..', महालया पर सीएम ममता ने विरोधियों पर साधा निशाना
कर्नाटक के पूर्व सीएम की हालत बिगड़ी, अस्पताल में हुए भर्ती, फ़िलहाल ऑक्सीजन सपोर्ट पर