नई दिल्ली: मणिलाल गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी और कस्तूरबा गांधी के चार पुत्रों में से दूसरे पुत्र थे। मणिलाल का जन्म 28 अक्टूबर 1892 को हुआ था। हालाँकि, गांधी बापू के बेटों के बारे में बहुत कम चर्चा होती है, इसलिए लोग उनके बारे में अधिक कुछ जानते नहीं। ऐसा ही एक किस्सा है, मणिलाल गांधी के प्रेम संबंध का, जिसे उनके पिता यानी गांधी जी ने शादी में तब्दील नहीं होने दिया।
दरअसल, मणिलाल को गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका में विश्वस्त सहयोगी युसुफ गुल की बेटी फातिमा से प्यार हो गया था। वे लोग बचपन से साथ रहे थे। बहुत वक़्त साथ गुजरता था, लिहाजा समय के साथ दोनों नजदीक आ गए। मणिलाल को विश्वास था कि वो टिम्मी (फातिमा) से शादी कर लेंगे। हालांकि उन्हें धीरे-धीरे लगने लगा कि इसमें कई बाधाएं थीं। माँ कस्तूरबा दूसरे धर्म में विवाह की सख्त विरोधी थीं। धर्म क्या वो तो दूसरी जाति में भी विवाह के पक्ष में नहीं थीं। वह ये बात कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती थीं कि उनकी बहू दूसरे धर्म और जाति की हो।
मणिलाल 1915 में गांधीजी के साथ भारत भी आए, मगर 1917 में वापस दक्षिण अफ्रीका लौट गए, ताकि फीनिक्स आश्रम का काम देख सकें। शायद ये भी एक वजह थी कि वो फातिमा की जुदाई बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। फातिमा से उनका प्रेम संबंध 1914 में शुरू हुआ और 1926 तक चला। मणिलाल ने 1926 में अपने से छोटे भाई रामदास के माध्यम से पिता को संदेश भेजा कि वो टिम्मी से विवाह करना चाहते हैं। मगर, पिता ने जवाबी रूप में जो पत्र भेजा, वो किसी धमाके से कम नहीं था।
गांधीजी ने अपने पत्र में लिखा कि वो मणि को ये पत्र एक दोस्त से तौर पर लिख रहे हैं। उन्होंने लिखा कि 'यदि तुम हिंदू हो और तुमने फातिमा से विवाह कर लिया और इसके बाद भी वो मुस्लिम ही रही, तो ये एक ही म्यान में दो तलवारों जैसा हो जाएगा। तब तुम अपनी आस्था से हाथ धो बैठोगे। जरा ये भी सोचो कि जो बच्चे जन्म लेंगे, वो किस धर्म और आस्था के प्रभाव में होंगे।' गाँधी जी ने कहा कि, ये धर्म नहीं अधर्म होगा, यदि फातिमा सिर्फ शादी करने के लिए अपने धर्म को बदलना भी चाहे तो भी सही नहीं होगा। आस्था कोई कपड़ा नहीं, जो आप इसे कपड़े की तरह बदल लें।'
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि, यदि कोई ऐसा करता है तो धर्म और घर से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। ये बिलकुल सही नहीं। ये रिश्ता बनाना समाज के लिए भी हितकर। ये हिंदू मुस्लिमों पर अच्छा असर नहीं डालेगी। अंतर धार्मिक शादी करने के बाद ना तो तुम देश की सेवा के योग्य रह जाओगे और ना ही फीनिक्स आश्रम में रहकर इंडियन ओपिनियन वीकली निकाल सकोगे। तुम्हारे लिए भारत आना मुश्किल हो जाएगा। मैं बा से तो इस संबंध में कह भी नहीं सकता, वो तो इसकी इजाजत देने से रहीं।'
इसका परिणाम ये हुआ कि मणि बहुत निराश हुए। वो समझ गए कि पिता से इसकी इजाजत नहीं मिलने वाली। उन्होंने फातिमा से शादी के लिए मना कर दिया। मगर गांधी के लिए इस व्यवहार के लिए मणि उन्हें जीवनभर माफ नहीं कर पाए। मणिलाल को पत्र लिखने के बाद गांधीजी ने अपने विश्वस्त सहयोगी जमनालाल बजाज से इस संबंध में बात की। इसके फ़ौरन बाद उनकी शादी महाराष्ट्र के अकोला में रहने वाले एक समृद्ध गुजराती बनिया व्यापारी की 19 वर्षीय बेटी सुशीला के साथ कर दी गई। मगर मणिलाल के मन में फातिमा को लेकर अपने पिता द्वारा कही गई बात अंतिम समय तक रही।
यूपी: भाईदूज पर चाय पीते ही 2 गए भाइयों समेत 4 की मौत
भड़काऊ भाषण: सपा नेता आज़म खान को 3 साल की सजा, विधायकी पर लटकी तलवार
झारखंड में मूर्ति विसर्जन के दौरान हिन्दू-मुस्लिम में संघर्ष, जमकर हुआ पथराव