नई दिल्ली: आज पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी का जन्मदिन है, उनका जन्म आज ही के दिन 1939 में तमिलनाडु के हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। अपनी ही सरकार की आलोचना करने के कारण सुर्ख़ियों में रहने वाले सुब्रमण्यम स्वामी की निजी जिंदगी बेहद दिलचस्प रही है। हिंदुत्व के पुरजोर समर्थक स्वामी ने एक पारसी लड़की से प्रेम विवाह किया है। ये कहानी उस समय शुरू हुई, जब वे पढ़ाई करने के लिए हार्वर्ड गए थे। यहां उसकी मुलाकात एक पारसी लड़की से हुई। वह लड़की मुंबई से मैथमैटिक्स की पढ़ाई करने आई थी। पहली ही नजर में स्वामी उस लड़की को पसंद करने लगे थे। उसी बीच वहां पर पंडित रविशंकर का एक म्यूजिक प्रोग्राम होने वाला था। स्वामी ने उस लड़की को इस प्रोग्राम की टिकट बेचने का प्रयास किया और धीरे-धीरे दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगीं, आखिरकार 10 जून 1966 को सुब्रमण्यम स्वामी और रोक्सना कपाड़िया ने विवाह कर लिया।
हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ा चुके हैं सुब्रमण्यम स्वामी :-
बता दें कि, सुब्रमण्यम स्वामी ने महज 24 वर्ष की आयु में ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में अपनी Phd पूरी कर ली थी। इससे पहले उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैथमैटिक्स में मास्टर्स की डिग्री ली। उन्होंने इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट कलकत्ता से भी पढ़ाई की। हार्वर्ड से पढ़ाई पूरी करने के बाद स्वामी ने हार्वर्ड में प्रोफेसर के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। वह वर्ष, 2011 तक हार्वर्ड में समर सेशन में इकोनॉमिक्स पढ़ाते थे। सियासत में कदम रखने से पहले तक स्वामी ने IIT दिल्ली में 1969 से लेकर 1970 के शुरुआती दशक तक यहां मैथमैटिकल इकोनॉमिक्स पढ़ाया।
इंदिरा गांधी भी थीं स्वामी की मुरीद:-
स्वामी से जुड़ा एक और दिलचस्प किस्सा ये है की चीन की मंदारिन भाषा को विश्व में सबसे मुश्किल भाषाओं में गिना जाता है। किसी ने स्वामी को यह भाषा एक साल के अंदर सीखने का चैलेंज दिया। डॉ. स्वामी ने यह चैलेंज स्वीकार कर लिया। यही नहीं उन्होंने एक साल की जगह महज तीन माह के अंदर ही इस भाषा पर अपनी मास्टरी साबित कर अपनी दक्षता का लोहा मनवा दिया था। चीन पर स्वामी का विश्लेषण इतना मजबूत है कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी से लेकर मनमोहन सिंह भी ड्रैगन से संबांधित मुद्दों पर सुब्रमण्यम स्वामी की राय लेते थे। स्वामी ने विदेश मामलों को लेकर पुस्तक भी लिखी हैं। इसमें चीन पाकिस्तान और इजरायल से कैसे निपटना है, के संबंध विस्तार से जानकारी दी गई है।
इमरजेंसी में वेश बदलकर घूमे स्वामी, कोई भी पकड़ नहीं पाया :-
सर्वोदय आंदोलन में शामिल होने के बाद स्वामी ने सियासत में कदम रखा। इसके बाद वह पहली बार जनसंघ की ओर से राज्यसभा भेजे गए। 1974 से 1976 तक वह राज्यसभा सदस्य रहे। 1975 में जब तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी की घोषणा की, तो उस समय स्वामी के खिलाफ भी गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ। गिरफ्तारी वारंट के बाद भी स्वामी ने ना केवल संसद के सत्र में शामिल हुए, बल्कि सिख के वेश में देश से बाहर निकलने में भी कामयाब रहे। 1977 में वह पहली बार लोकसभा सांसद बने। 1980 में वह फिर से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। वर्ष 1988 से 1994 के दौरान वह दो बार राज्यसभा सदस्य रहे। 1990 से 91 के दौरान चंद्रशेखर की सरकार में वह केंद्रीय मंत्री बने। स्वामी को कॉमर्स मिनिस्टर के साथ ही विधि और न्याय मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था। स्वामी ने 1990 में जनता दल की स्थापना की। इसके साथ ही स्वामी 1974 से लेकर 1999 तक पांच बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। 1990 में जब आधिकारिक रूप से जनता दल स्थापित हुई तो 1990 से लेकर 2013 तक वह पार्टी के अध्यक्ष रहे। साल 2013 में उन्होंने अपनी पार्टी को भाजपा में विलय कर दिया। उस वक़्त राजनाथ सिंह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। इसके बाद 2016 में भी स्वामी को भाजपा ने राज्यसभा सांसद बनाया था।
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