नई दिल्ली: आज पंडित मदन मोहन मालवीय की पुण्यतिथि है। उनका जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद में हुआ था। वर्ष 1984 में महामना ने स्नातक की उपाधि हासिल की। बीए की डिग्री हासिल करने के बाद वे कुमारी देवी से मिर्जापुर में विवाह बंधन में बंध गए। वे बचपन से ही एक कथावाचक बनना चाहते थे। दरअसल उनके पिता भी एक कथावाचक थे। गरीबी के चलते उन्हें वर्ष 1884 में सरकारी विद्यालय में शिक्षक की नौकरी मिली।
वे वर्ष 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें धारा 144 का उल्लंघन करने के कारण पकड़ लिया था।डाॅ. राधाकृष्णन ने मालवीय के संघर्ष व परिश्रम के चलते उन्हें कर्मयोगी तक कह दिया था। वर्ष 1898 में सर एंटोनी मैकडोनेल के सामने हिंदी भाषा की प्रमुखता को बताते हुए कचहरियों में इस भाषा को प्रवेश दिलवाया गया। पं. मदन मोहन मालवीय के बारे में जब भी तरह की बातें कही जाती हैं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का उल्लेख होता है।
दरअसल, इस विश्व विद्यालय की स्थापना 1916 में महामना के प्रयासों से ही हुई। मालवीय ने 1907 में अभ्युदय हिंदी साप्ताहिक का प्रारंभ किया। 1909, 1918, 1930, 1932 में वे कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। 1924 से 1946 तक वे हिंदुस्तान टाईम्स के चेयरमैन तक रहे। मालवीय को बनारस हिंदू विवि की स्थापना में अहम योगदान देने और गोदावरी नदी में हिंदू मंत्रा का जाप करने को प्रेरित किया। उन्होंने कलाराम मंदिर में दलितों को प्रवेश भी दिलवाया।
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