उत्तर प्रदेश की घाघ सियासत में अपना विशेष स्थान बनाने वाले और उसके निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पंडित गोविंद बल्लभ पंत यानी जीबी पंत (GB Pant) यूपी के पहले सीएम और देश के चौथे गृहमंत्री थे। पंत न केवल एक महान राजनीतिज्ञ थे, बल्कि एक समर्पित स्वतंत्रता सेनानी भी थे। आज पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जयंती है। उनका जन्म 10 सितंबर, 1887 को अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में हुआ था। वे मूलतः महाराष्ट्र के रहने वाले थे। उनकी मां का नाम गोविंदी बाई था, उनके नाम से ही पंत को अपना नाम मिला था।
पिता की सरकारी नौकरी और प्रति वर्ष तबादले की वजह से गोविंद बल्लभ पंत (Govind Ballabh Pant) का पालन-पोषण उनके नाना बद्रीदत्त जोशी के घर हुआ। उनके व्यक्तित्व और सियासी विचारों पर उनके नाना का काफी प्रभाव था। गोविंद बल्लभ पंत 1905 में वे अल्मोड़ा से इलाहाबाद आ गए। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री प्राप्त की और काशीपुर में वकालत शुरू कर दी। इनके बारे में कहा जाता था कि पंत केवल सच्चे केस ही लेते थे और झूठ बोलने पर केस छोड़ देते थे। उन्होंने काकोरी कांड में रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और काकोरी मामले में शामिल अन्य क्रांतिकारियों का केस भी लड़ा था।
उनके निबंध भारतीय दर्शन के प्रतिबिंब है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता के लिए अपनी कलम उठाई। प्रबुद्ध वर्ग के मार्गदर्शक पंत जी ने तमाम मंचों से मानवतावादी निष्कर्षों को प्रसारित किया। राष्ट्रीय चेतना के प्रबल समर्थक पंत जी ने गरीबों की पीड़ा बांटी और आर्थिक विषमता मिटाने के लिए अथक प्रयास किए। वर्ष 1937 में पंत जी संयुक्त प्रांत के प्रथम पीएम बने और 1946 में उत्तर प्रदेश के पहले सीएम।10 जनवरी, 1955 को उन्होंने भारत के गृह मंत्रालय का कार्यभार संभाला। सन 1957 में गणतन्त्र दिवस पर महान देशभक्त, कुशल प्रशासक, सफल वक्ता, तर्क के धनी एवं उदारमना पन्त जी को भारत की सर्वोच्च उपाधि 'भारतरत्न' से नवाज़ा गया।
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