नई दिल्ली: वैज्ञानिक खोजें कई बार न सिर्फ हैरान करती हैं, बल्कि अपने अनूठे गुणों की वजह से अक्सर रोमांच से भर देती हैं। कुछ ऐसी ही हैरानी और रोमांच बार-बार महसूस होता है जब हम उस प्रयोगधर्मी वैज्ञानिक का नाम लेते हैं, जिसकी मित्रता तरंगों से थी और जिसने पहली बार विश्व को बताया कि पेड़-पौधों को भी अन्य सजीव प्राणियों की तरह दर्द होता है।
कई महत्वपूर्ण खोजों के लिए विख्यात उस वैज्ञानिक को हम जगदीश चंद्र बसु के नाम से जानते हैं। भारत के पहले आधुनिक वैज्ञानिक कहे जाने वाले जगदीश चंद्र बसु का जन्म 30 नवंबर एवं पुण्य तिथि 23 नवंबर दोनों एक ही महीने और एक ही हफ्ते में पड़ते हैं। रेडियो और सूक्ष्म तरंगों पर शोध करने वाले जगदीश चन्द्र बसु प्रथम भारतीय वैज्ञानिक थे। विभिन्न संचार माध्यमों, जैसे- रेडियो, टेलीविजन, रडार, सुदूर संवदेन यानी रिमोट सेंसिंग सहित माइक्रोवेव ओवन की कार्यप्रणाली में बसु का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है। आज पूरा विश्व बोस को मार्कोनी के साथ बेतार संचार के पथप्रर्दशक कार्य के लिए रेडियो के सह-आविष्कारक के रूप में मानता है।
जगदीश चन्द्र बोस का दो अहम क्षेत्रों में योगदान रहा है। एक तरफ जहां उन्होंने बहुत छोटी तरंगें पैदा करने का तरीका दिखाया, वहीं दूसरी ओर हेनरिक हर्ट्ज के रिसीवर को उन्होंने एक उन्नत रूप दिया। बोस द्वारा आविष्कार की गई सूक्ष्म तरंगों की तकनीक बीते कुछ दशकों में दुनिया भर में अलग अलग क्षेत्रों में सफलतापूर्वक प्रयोग की जा रही है।
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