कर्तव्यनिष्ठा की अद्भुत मिसाल: IAS प्रतिभा पाल

कर्तव्यनिष्ठा की अद्भुत मिसाल: IAS प्रतिभा पाल
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इंदौर: आज हम एक ऐसी महिला अधिकारी की बात करने जा रहे हैं, जो कर्त्व्यनिष्ठा की जीती जागती मिसाल हैं। वर्ष 2012 बैच की IAS अफसर प्रतिभा पाल की खासियत यह रही है कि स्थिति चाहे जो भी हो, लेकिन वे अपने कर्तव्य से कभी पीछे नहीं हटती हैं। 2021 जनवरी में  बतौर इंदौर नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल की लगन और जज्बे ने कई लोगों को हैरान कर दिया था। दरअसल, इंदौर नगर निगम की कमिश्नर रहते हुए प्रतिभा पाल ने उस समय इंदौर को नंबर वन बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिए थे, वो भी ऐसी स्थिति में जब वे 9 माह की गर्भवती थीं। यही नहीं अपने प्रसव से 12 घंटे पहले तक उन्होंने स्वच्छता सर्वे से संबंधित कार्यों को लेकर समीक्षा बैठक की थी। उन्होंने अफसरों को आवश्यक कार्यों को पूरा करने के दिशा निर्देश दिये थे और फिर अगले ही दिन सुबह अस्पताल में नवजात को जन्म दिया। इसके बाद भी वे मात्र 10 दिवस का मातृत्व अवकाश लेकर 11वें दिन वापस अपनी ड्यूटी पर भी उपस्थित हो गईं। 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि, इंदौर को स्वच्छता में नंबर -1 बनाने में तत्कालीन निगमायुक्त (2015-2018) मनीष सिंह का अहम योगदान है, जिन्होंने धुल-धुंए और जगह-जगह कचरे के ढेर पड़े होने के कारण ट्रेचिंग ग्राउंड में तब्दील हो चुके इंदौर को प्रथम स्वच्छता सर्वेक्षण में सबसे आगे लाकर खड़ा कर दिया। उनके बाद आए आशीष सिंह ने भी इंदौर का कायाकल्प जारी रखा और दो बार 2019-2020 में फिर इंदौर को देश का सबसे स्वच्छ शहर बना दिया। आशीष सिंह के बाद निगमायुक्त बनीं प्रतिभा पाल ने जो काम किया, उसकी सराहना राज्य से लेकर दिल्ली तक हुई। एक बार इंदौर दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शहर की सफाई-व्यवस्था की जमकर प्रशंसा की थी।  प्रतिभा पाल की लगन और जज्बे की ही बदौलत इंदौर स्वच्छता का पंच लगा पाया और अब छक्का लगाने की दौड़ में भी सबसे आगे चल रहा है। 

इंदौर की निगमायुक्त प्रतिभा पाल के बारे में कहा जाता है कि उन्हें कुकिंग करने और कविता लिखने का शौक है। दुष्यंत कुमार को पसंदीदा कवि मानने वालीं प्रतिभा पाल खुद भी कई कविताएं लिख चुकी हैं। वो कहते हैं न कि, विचारों से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है, ऐसे में IAS अफसर प्रतिभा के बारे में कहा जा सकता है कि, उनके सकारात्मक विचारों ने ही उनके व्यक्तित्व को इतनी ऊंचाई पर पहुंचा दिया है, जहां देश की युवा पीढ़ी से लेकर अनुभवी अफसर भी उनसे प्रेरित होते हैं।  एक साक्षात्कार में प्रतिभा पाल ने कहा था कि ‘समाज के लिए सोचना और बढ़ावा देना किसी संस्था और अफसर का प्राथमिक कर्तव्य होना चाहिए। सबको साथ लेकर चलने वाले को ही इतिहास पूछता है और उसे ही पढ़ा भी जाता है।' महिला IAS अफसर की इसी सोच के चलते आज वे इस मुकाम पर हैं और इंदौर के 18 हज़ार नगर निगम कर्मचारियों के लिए कर्त्व्यनिष्ठा की एक अद्भुत मिसाल बनी हुईं हैं।  

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